'युद्ध नहीं विश्व शांति' पर कविता
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मानव जब सभी इच्छायों को त्याग देता है और “मैं” और “मेरा” जैसी भावना से मुक्त हो जाता है, वह जीवन में शांति प्राप्त करता है.
"भगवत गीता"
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