'युद्ध स्थल है वीरों का बच्चों का खिलवाड़ नहीं, थारे हैं कृपाणों की मिष्ठानों का बाजार नहीं, रीझ न वानर बाली का शिकार नहीं यह श्रवण का, यह खून है लंकेश्वर का।' में को सा रस है।।।।।
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