युधिष्ठिरः आत्मानं कस्मात् धिक् करोति स्म? (युधिष्ठिर स्वयं को क्यों धिक्कारता है?)
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उत्तरम्:
यतः पाण्डवाः बलवन्तः, शस्त्रधारिणोऽपि सन्तः व्यूह-भेदनेऽशक्ताः आसन् अतः चिन्तिताः एव भवितु शक्नुमः। अनेन नैराश्येन सः धिक्कमेच्छत्।
(क्योंकि पाण्डव बलवान होते हुए भी और शस्त्र धारण करने में समर्थ होते हुए व्यूह भेदने में सक्षम नहीं थे अत: केवल चिन्तित ही रह सकते थे। इस निराशा के कारण वह धिक्कारना चाहता है।)
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