युधिष्ठिर के चरित्र से आपको क्या प्रेरणा मिलती है
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युधिष्ठिर भाला चलाने में निपुण थे। वे कभी मिथ्या नहीं बोलते थे। उनके पिता ने यक्ष बन कर सरोवर पर उनकी परीक्षा भी ली थी। महाभारत युद्ध में धर्मराज युधिष्ठिर सात अक्षौहिणी सेना के स्वामी होकर कौरवों के साथ युद्ध करने को तैयार हुए थे, जबकि परम क्रोधी दुर्योधन ग्यारह अक्षौहिणी सेना का स्वामी था।
Answer:
1.जीवन हो योजनाओं से भरा : जीवन के किसी भी क्षेत्र में बेहतर रणनीति आपके जीवन को सफल बना सकती है और यदि कोई योजना या रणनीति नहीं है तो समझो जीवन एक अराजक भविष्य में चला जाएगा जिसके सफल होने की कोई गारंटी नहीं। भगवान श्रीकृष्ण के पास पांडवों को बचाने का कोई मास्टर प्लान नहीं होता तो पांडवों की कोई औकात नहीं थी कि वे कौरवों से किसी भी मामले में जीत जाते।
2.संगत और पंगत हो अच्छी : कहते हैं कि जैसी संगत वैसी पंगत और जैसी पंगत वैसा जीवन। आप लाख अच्छे हैं लेकिन यदि आपकी संगत बुरी है, तो आप बर्बाद हो जाएंगे। लेकिन यदि आप लाख बुरे हैं और आपकी संगत अच्छे लोगों से है और आप उनकी सुनते भी हैं, तो निश्चित ही आप आबाद हो जाएंगे। कौरवों के साथ शकुनि जैसे लोग थे जो पांडवों के साथ कृष्ण। शकुनि मामा जैसी आपने संगत पाल रखी है तो आपका दिमाग चलना बंद ही समझो।
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