युधिष्ठिर और दुर्योधन की सेनाएँ कुरुक्षेत्र के मैदान में जा डटी । अपने विपक्ष में पितामह
भीष्म तथा आचार्य द्रोण आदि गुरुजनों को देखकर अर्जुन युध्द से विरत हो गये । तब भगवान श्रीकृष्ण
ने उनसे कहा-'पार्थ! भीष्म आदि गुरुजन शोक के योग्य नहीं है। मनुष्य का शरीर विनाशशील है,
किन्तु आत्मा का कभी नाश नहीं होता । यह आत्मा ही परब्रह्म है।
प्रश्नः
7. कुरुक्षेत्र के मैदान में किसकी सेनाएँ डटी थी?
8. अर्जुन किसे विपक्ष में देख विरत हो गये ?
9. श्रीकृष्ण ने धर्मोपदेश किसे दिया ?
10. आत्मा एवम् शरीर के विषय में श्रीकृष्ण ने क्या कहा ?
11. यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
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