युवा पीढ़ी ने स्वतंत्रता संग्राम किस प्रकार किया
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आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। इनमें से कुछ जीवित सेनानियों की नब्ज टटोली गई तो उन्होंने युवा पीढ़ी से अपील की कि इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के। वाराणसी के गंजारी गांव के 94 वर्षीय सीताराम शास्त्री बताते हैं कि उन लोगों ने गुलामी की यातनाएं झेली हैं। अब नई पीढ़ी को स्वतंत्र भारत के राष्ट्र निर्माण में लग जाना चाहिए।
गजनी, गजनवी, नादिरशाह से लेकर अंग्रेजों तक देश को तमाम मुश्किलों से निकालने वाले योद्धाओं को प्रणाम करते हुए कहा कि युवावस्था में लोग आजादी के दीवाने थे। लोग उस समय अपनी कुर्बानी देकर देश को आजाद करने के लिए उतावले रहते थे। आजादी का संघर्ष करने में इन्हें 4 माह की कैद और 10 रुपये का जुर्माना लगा था।
आजादी के संघर्ष करने के दौरान गंगापुर क्षेत्र से 13 युवक जेल भेजे गए थे, इनमें से एक सीताराम शास्त्री भी रहे। जेल जाने वाले आंदोलनकारियों में मोती कोट के राजनारायण, रामाधार, लालधर, कृष्णदेव उपाध्याय जैसे प्रमुख आंदोलनकारी भी थे। सीताराम शास्त्री का कहना है कि गरीब, ग्रामीण, युवाओं का उत्थान होना चाहिए। सभी को राष्ट्र निर्माण की बेला में एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए।
शाहंशाहपुर गांव निवासी 84 वर्षीयवयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामकृष्ण सिंह का कहना है कि अब अपने देश की राजनीतिक पार्टियों को तू-तू, मैं-मैं से दूर रहकर राष्ट्र को प्राथमिकता देना चाहिए। राजनीतिक पार्टियां अपनी अलग-अलग विचारधारा रखे पर सब का उद्देश्य एक होना चाहिए। व्यक्तिगत हितों और स्वार्थ का त्याग करना चाहिए। रामकृष्ण सिंह ने भी आजादी के दौरान की यातनाओं को साझा करते हुए नए भारत निर्माण के लिए हर नागरिक से अपील की।
कहा की स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का ख्वाब था कि आजादी के बाद एक ऐसा भारत बनेगा जो कम समय में ही आत्मनिर्भर, समृद्ध, शिक्षित व विश्व गुरु के रूप में अपनी ख्याति अर्जित करेगा। युवाओं से अपील करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सपनों के भारत का निर्माण करें, जिसमें मजहब, जाति, क्षेत्र, भाषा, लिंग का कोई स्थान हो। कहा कि सिर्फ उन्हें इसलिए जेल जाना पड़ा कि उन्होंने आजादी की मांग की थी। आज के युवा वर्ग उस आजादी की कीमत को समझें और आजादी को अखंड बनाए रखने के लिए कार्य करें।
वाराणसी जिला प्रशासन के रिकार्ड में बनारस में सात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जीवित हैं। इनमें गंगापुर के सीताराम शास्त्री, पड़या, चंदौली के गोपालजी, भदैनी के धन्य कुमार जैन, बिरदोपुर के बीके बनर्जी, लहरतारा के उमाशंकर सिंह, शाहंशाहपुर के रामकृष्ण सिंह, जददूपुरा के सुंदर लाल गुप्ता शामिल हैं।
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बहुत जोरोसे मनाया इिस तरह से किया