युवा पीढ़ी और नशीले पदार्थ पर निबंध
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Explanation:
युवा पीढ़ी पर नशीले पदार्थों की पकड़ लगातार मजबूत हो रही है. ... नशीले पदार्थों को आमतौर पर 4 भागों में बांटा जाता है- अफीम व अफीम से बने मारफिन, कोडीन, हेरोइन व ब्राउन शुगर, गांजा व गांजे से बने चरस व हशीश, कोकीन, सैन्कोटिक ड्रग्स जैसे एलएसडी, मैंड्रोक्स व पीसीपी. ये सभी बेहद खतरनाक हैं.
Answer:
नशा एक ऐसी बुराई है जो हमारे समूल जीवन को नष्ट कर देती है। नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता है। युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीड़ित है। सरकार इन पीड़ितों को नशे के चुंगल से छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति अभियान चलाती है, शराब और गुटखे पर रोक लगाने के प्रयास करती है। नशे के रूप में लोग शराब, गाँजा, जर्दा, ब्राउन शुगर, कोकीन, स्मैक आदि मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के साथ सामाजिक और आर्थिक दोनों लिहाज से ठीक नहीं है। नशे का आदी व्यक्ति समाज की दृष्टी से हेय हो जाता है और उसकी सामाजिक क्रियाशीलता शून्य हो जाती है, फिर भी वह व्यसन को नहीं छोड़ता है। ध्रूमपान से फेफड़े में कैंसर होता हैं, वहीं कोकीन, चरस, अफीम लोगों में उत्तेजना बढ़ाने का काम करती हैं, जिससे समाज में अपराध और गैरकानूनी हरकतों को बढ़ावा मिलता है। इन नशीली वस्तुओं के उपयोग से व्यक्ति पागल और सुप्तावस्था में चला जाता है। तम्बाकू के सेवन से तपेदकि, निमोनिया और साँस की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसके सेवन से जन और धन दोनों की हानि होती है।
हिंसा, बलात्कार, चोरी, आत्महत्या आदि अनेक अपराधों के पीछे नशा एक बहुत बड़ी वजह है। शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए एक्सीडेंट करना, शादीशुदा व्यक्तियों द्वारा नशे में अपनी पत्नी से मारपीट करना आम बात है। मुँह, गले व फेफड़ों का कैंसर, ब्लड प्रैशर, अल्सर, यकृत रोग, अवसाद एवं अन्य अनेक रोगों का मुख्य कारण विभिन्न प्रकार का नशा है। भारत में केवल एक दिन में 11 करोड़ सिगरेट फूंके जाते हैं, इस तरह देखा जाय तो एक वर्ष में 50 अरब का धुआँ उड़ाया जाता है। आज के दौर में नशा फैशन बन गया है। प्रति वर्ष लोगों को नशे से छुटकारा दिलवाने के लिए 30 जनवरी को नशा मुक्ति संकल्प और शपथ दिवस, 31 मई को अंतरराष्ट्रीय ध्रूमपान निषेध दिवस, 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा निवारण दिवस और 2 से 8 अक्टूबर तक भारत में मद्य निषेध दिवस मनाया जाता है। मगर हकीकत में ये दिवस कागजी साबित हो रहे हैं।
वर्तमान में देश के 20 प्रतिशत राज्य नशे की गिरफ्त में हैं। इनमें पंजाब राज्य का नाम प्रमुखता से टॉप पर है। पंजाब के बाद मणिपुर और तमिलनाडू का नाम है। पंजाब के हालात इस समय सबसे खराब बताये जा रही हैं जहां सीमा पार से लगातार नशीले पदार्थों की तस्करी के समाचार सुर्खियों में हैं। पंजाब की युवा पीढ़ी नशे की सर्वाधिक शिकार है। पंजाब के हालात पर यदि शीघ्र गौर नहीं किया गया और नशे पर अंकुश नहीं लगाया गया तो हरे−भरे पंजाब को नष्ट होने से कोई भी नहीं बचा पायेगा।
हमारे समाज में नशे को सदा बुराइयों का प्रतीक माना और स्वीकार किया गया है। इनमें सर्वाधिक प्रचलन शराब का है। शराब सभी प्रकार की बुराइयों की जड़ है। शराब के सेवन से मानव के विवेक के साथ सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। वह अपने हित−अहित और भले−बुरे का अन्तर नहीं समझ पाता। शराब के सेवन से मनुष्य के शरीर और बुद्धि के साथ−साथ आत्मा का भी नाश हो जाता है। शराबी अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। अमीर से गरीब और बच्चे से बुजुर्ग तक इस लत के शिकार हो रहे हैं। शराब के अतिरिक्त गांजा, अफीम और अन्य अनेक प्रकार के नशे अत्यधिक मात्रा में प्रचलित हो रहे हैं। शराब कानूनी रूप से प्रचलित है तो गांजा−अफीम आदि देश में प्रतिबन्धित हैं और इनका क्रय−विक्रय चोरी छिपे होता है।
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