Hindi, asked by nikithamira5904, 1 year ago

युवा-वर्ग पर फिल्मों का प्रभाव पर निबन्ध | Write an essay on The Influence of Films on Young People in Hindi

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Answered by coolthakursaini36
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                                "युवा वर्ग पर फिल्मों का प्रभाव"

भूमिका:-> हमारे प्राचीन धार्मिक ग्रंथ रामायण महाभारत वैज्ञानिकों के लिए हमेशा से प्रेरणा के स्त्रोत रहे हैं। जब महाभारत का युद्ध हो रहा था तो संजय धृतराष्ट्र को युद्ध के क्षेत्र में हो रहे युद्ध का आंखों देखा हाल सुनाते थे। उनको यह वरदान तपस्या करके एक ऋषि से मिला था। आधुनिक विज्ञानियों ने इस विषय पर चिंतन मनन किया और दूरदर्शन का अविष्कार किया।  

मनोरंजन या मन बहलाव के साधनों की खोज उतनी ही पुरानी है जितना कि इस पृथ्वी पर मनुष्य का अस्तित्व, प्राचीन सभ्यताओं की खोज से यह सिद्ध हुआ है कि हर युग में मनुष्य ने अपने मनोरंजन के साधन खोजे हैं। दूरदर्शन का आविष्कार इंग्लैंड की जे. एक. बेयर्ड ने1926 में किया था। भारत में इसका पदार्पण 1959 में हुआ भारत में पहली बोलती फिल्म आलम आरा प्रदर्शित हुई थी।

फिल्मों का सकरात्मक प्रभाव:-> विद्यार्थियों के लिए फिल्में मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान वर्धन का काम भी करती हैं। कठिन परिस्थितियों से निकलने का तथा सामाजिक माहौल में जीने का मार्गदर्शन भी करती हैं। अच्छी फिल्मों से युवाओं के अंदर राष्ट्रहित के लिए अपने घर परिवार के लिए कुछ करने का जज्बा बनता है। फिल्मों के माध्यम से ही युवा मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत बनने की चाह रखता है।

अच्छी फिल्मों को देख कर अपने शरीर को मजबूत बनाने के लिए निरंतर व्यायाम करता है। वह एक आज्ञाकारी पुत्र तथा आदर्श नागरिक बनना चाहता है। फिल्मों से युवा बहुत कुछ सीखते हैं उनके अंदर कुछ बनने की हिम्मत और जुनून भी फिल्मों से ही मिल सकता है। अगर यह कहा जाए तो भी अतिशयोक्ति न होगी कि फिल्में भी युवाओं के चरित्र निर्माण में अहम भूमिका निभाती हैं।

फिल्मों का नकारात्मक प्रभाव:-> अगर यह कहा जाए कि फिल्मों के सकारात्मक प्रभाव के बजाय युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव ज्यादा है तो गलत न होगा। फिल्में अनेक विषयों पर बनती हैं सर्वाधिक फिल्में प्रेम कथाओं को लेकर बनती हैं I प्रेम जीवन का अभिन्न अंग भी है और शाश्वत विषय भी प्रेम पर चल चित्रों का निर्माण होना अनुचित नहीं है I परंतु प्रेम की अपेक्षा आज की फिल्मों में हिंसा वासना बलात्कार और रुचि पूर्ण दृश्यों की अधिकता रहती है। जिसका सीधा प्रभाव युवाओं के मानसिक पटल पर पड़ता है। चोरी डकैती लूटपाट के नित नए नए तरीके फिल्मों में दिखाए जाते हैं।

प्रेम के नाम पर नग्न दृश्य कामुक मुद्राएं संवादों का बोल बाला है। फिल्मों में चोरी, हिंसा, स्मगलिंग और ना जाने किन किन उपायों से लोगों को धन कमाते दिखाया जाता है। मार-काट और हिंसा को गौरव प्रदान किया जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप नई पीढ़ी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है I हमारी फिल्मों में यथार्थ की अभिव्यक्ति के नाम पर समाज की गंदगी का प्रचार किया जाता है। अधिकांश फिल्में युवा पीढ़ी को गुमराह कर रही हैं।

असंख्य युवकों ने अपराध का पहला पाठ फिल्मों से सीखा है। फिल्मो पर पश्चिम का प्रभाव अधिक है, इसलिए खानपान पहनावे और शिष्टाचार का चित्रण करते समय हमारी फिल्में अनायास ही भारतीय युवा वर्ग को पश्चिम भक्त बना रही हैं।  

फैशन के नाम पर अभद्रता नग्नता और अश्लीलता का बोलबाला है वस्त्र शरीर को दिखाते अधिक हैं ढकते का में शराब और सिगरेट का प्रयोग अनिवार्य रूप से दिखाया जाता है। जिसका सीधा प्रभाव युवा वर्ग पर पड़ता है और वह अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूल कर पश्चिमी सभ्यता को अपना रहा है।

उपसंहार:->सिनेमा हमारे जीवन को सुखमय बनाता है अथवा दुखमय यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम इसका प्रयोग कैसे करते हैं I सिनेमा तो साधन है उसकी उपयोगिता इसके प्रयोग के ढंग पर ही निर्भर करेगी। यह तो हमारे ऊपर निर्भर करता है कि "एक गिलास में गंदा पानी है और एक में साफ पानी है हमें कौन सा पीना है"?


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