Hindi, asked by vhumi25, 6 months ago

 ‘यूयम् भस्म खादत’ – इति कः कम् कथयति ?



क- हंसौ,कूर्म:

ख- गोपालकान्, हंसौ

ग- कूर्म:, हंसौ

घ- कूर्म: , गोपालकान्,

Answers

Answered by Anonymous
3

Answer:

सामाजिक असमानता, पारिवारिक हिंसा, अत्याचार और आर्थिक अनिर्भरता इन सभी से महिलाओं को छूटकारा पाना है तो जरुरत है महिला सशक्तिकरण की।

पहले ‘मै सक्षम हुं’ इस बात का महिलाओं ने खुद को यकीन दिलाना जरुरी है। मै एक स्त्री हुं इस आत्मग्लानी में ना रहें। जब आप आत्मग्लानी में आते हो तब आपकी ऊर्जा, उत्साह और शक्ती कम होने लगती है। अध्यात्म का मार्ग एक हि ऐसा मार्ग है जहां आप आत्मग्लानी और अपराधी भावसे मुक्त हो सकती हो। आत्मग्लानी और अपराधी भाव - इन दोनों में हम अपने मन के छोटेपन अनुभव करते है। जिससे आप अपनी आत्मा से और दूर जाती है।

खुदको दोष देना बंद कर खुद कि तारीफ करना शुरू करें। तारीफ करना दैवी गुण है, है ना?

मै स्त्री हुं, अबला हुं, ऐसी सोच भी कभी मन में ना लायें। ऐसी आंतरिक असमानता से कुछ भी हासिल नही होगा। आप डंटकर खडी हो जायें, अपने अधिकार प्राप्त करने हेतू जिस क्षमताकि जरुरत है वह सब आपमें है।

निःसंशय समाज में बदलाव आना भी चाहिये। लेकीन आत्मग्लानी के भाव में रहकर यह बदलाव आप नही ला सकती।"

Answered by saanvijha53
3

Answer:

answer is d

Explanation:

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