Hindi, asked by raunakpandey081, 9 months ago

yadi mai shiksha mantri hoti essay in Hindi​

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Answered by Anonymous
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भूमिका : व्यक्ति जब भी अपने जीवन से संतुष्ट होता है तो वह अपने संतुष्टि के कारणों को मिटाने की कोशिश करता है। इसी इच्छा से मनुष्य की उन्नति के भेद का पता चलता हैं। मैं एक विद्यार्थी हूँ तो मेरी ज्यादातर इच्छाएँ मेरी शिक्षा से संबंधित हैं इसलिए मैं कई बार शिक्षा में ऐसे परिवर्तन लाने की कोशिश करता हूँ जिससे हमारी शिक्षा सही अर्थों में उपयोगी बन जाये। जब तक मैं शिक्षा मंत्री नहीं बन जाता तब तक मैं अपनी इच्छाओं को पूरा नहीं कर सकता इसलिए कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि – काश! मैं शिक्षा मंत्री होता।

पाठ्य पुस्तकों का बोझ कम करने : यदि मैं शिक्षा मंत्री होता तो सबसे पहले ये आदेश जारी करता कि पाठ्यक्रमों में किताबों का बोझ कम कर दिया जाये। आज के समय में एक ही विषय की चार-चार किताबें होती हैं विद्यार्थी उन्हें देखकर ही घबरा जाता है और उसे कुछ भी समझ में नहीं आता। विद्यार्थी उन्हें देखकर असमंजस में पड़ जाते हैं कि वे कौन सी पुस्तक को अपनाएं। विद्यार्थियों पर पाठ्यपुस्तकों का बहुत भार होता हमें ज्यादा-से-ज्यादा बोझ को कम करने की कोशिश करनी चाहिए।

व्यवसाय से जुडी शिक्षा : शिक्षा को व्यवसायिक बनाना जरूरी होता है। आज की वर्तमान शिक्षा प्रणाली हमे किताबी कीड़ा बनाती है और बाद में बेकार नौजवानों की पंक्ति में लाकर खड़ा कर देती है। इस व्यवस्था को बदलने के लिए मेहनत और साहस की जरूरत होती है। लेकिन मुझे भरोसा है कि जब मैं शिक्षा मंत्री बन जाउँगा तब मैं अपनी मन की इच्छा को पूरा जरुर करूंगा।

जब मैं शिक्षा मंत्री का पद ग्रहण करता तो सरकारी अध्यापकों को प्राईवेट ट्यूशन देने से मना कर देता। जो अध्यापक ट्यूशन पढ़ाते हैं वे कक्षा में तो कुछ नहीं पढ़ाते हैं पर स्कूल का समय खत्म होते ही उनके घरों पर विधिवत स्कूल खुल जाते हैं। जो विद्यार्थी प्राईवेट ट्यूशन के लिए तैयार नहीं होते हैं उन्हें अपमानित और दंडित किया जाता है।

बहुमुखी विकास : शिक्षा अर्थ केवल पुस्तकीय ज्ञान होता है। छात्रों के बहुमुखी विकास में खेलों, भ्रमण और सांस्कृतिक कार्यक्रम का अहम महत्व होता है। गांधी जी ने भी शिक्षा दी थी कि गर्मी की छुट्टियों में गाँव में जाकर गाँव के सुधार के काम किये जाने चाहिएँ, अनपढ़ों को पढाना, किसानों को कृषि करने के नए ढंग सिखाने चाहिएँ, गरीब बच्चों को स्वास्थ्य के नियम बताने चाहिएँ, सफाई का महत्व समझाना चाहिए। विद्यार्थियों के बहुमुखी विकास के लिए मैं जरुरतमंद कदम उठाऊंगा।

माध्यम : शिक्षा का माध्यम क्या होना चाहिए? वर्तमान समय में हमारी शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी भाषा बनी हुई है। इस विदेशी भाषा को समझने और जानने के लिए हमारी पूरी बौद्धिक शक्ति नष्ट हो जाती है। शिक्षा मंत्री के रूप में मैं अपने कर्तव्य को पूरी तरह समझूंगा और मैं बच्चों और माता-पिता को स्वंय भाषा को चुनने की आज्ञा दूंगा मुझे पूरा विश्वास है कि वो हिंदी भाषा को ही चुनेंगे।

हम शिक्षा की तरफ बहुत कम ध्यान देते हैं। हमारे स्कूलों में जब अध्यापक होते हैं वहाँ पर विद्यार्थी नहीं होते हैं और जहाँ पर विद्यार्थी होते हैं वहाँ पर योग्य अध्यापकों की कमी होती है। कहीं-कहीं पर तो विद्यालय के भवन ही नहीं होते और खेल के मैदान किसी-किसी विद्यालय के साथ ही दिखाई देते हैं। मैं स्कूलों और कॉलेजों से राजनीति को साफ कर दूंगा। मैं योग्य छात्रों के लिए छात्रवृत्तियों की व्यवस्था करूंगा।

उपसंहार : शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन करने से देश की हालत को बदला जा सकता है। जापान जैसा देश अपनी उद्देश्यपूर्ण व्यवस्था की वजह से ही इतने कम समय में आज उन्नति के शिखर पर पहुंच गया है। मैं भी संसार को बता देता कि भारत के विद्यार्थी भी देश के निर्माण में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन अभी तो बस यही दोहराना पड़ता है कि – काश! मैं शिक्षा मंत्री होता।

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Answered by sharmaRudraksh
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Answer:

मनुष्य के मन की उड़ान ही उसे ऊँचाई की ओर प्रेरित करती है । मनुष्य पहले कल्पनाएँ करता है उसके बाद उन्हें साकार करने की चेष्टा करता है । यदि मनुष्य ने हजारों वर्ष पूर्व कल्पना न की होती तो आज वह अंतरिक्ष में विचरण नहीं कर रहा होता । वह कभी चंद्रमा पर विजय पताका फहराने में सक्षम नहीं हो पाता ।

बचपन से ही मनुष्य बड़ा होकर कुछ बनने या करने का स्वप्न देखता है । इसी प्रकार मैं भी प्राय: अपनी कल्पना की उड़ान में शिक्षा जगत् में अपना योगदान देना चाहता हूँ । मैं भी लाल बहादुर शास्त्री, पं॰ जवाहरलाल नेहरू व डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद की तरह राजनेता बनना चाहता हूँ ।

ये सभी राजनेता साथ-साथ महान विद्‌वान भी थे । इन्हें देश की समस्याओं की बड़ी गहरी समझ थी । मेरा विचार है कि कोई भी राजनेता यदि शिक्षामंत्री बनना चाहता है तो उसे अच्छा शिक्षाशास्त्री भी होना चाहिए । इसी स्थिति में वह राष्ट्र की उचित सेवा कर सकता है ।

बड़े होकर मैं भी चुनाव में भाग लूँगा । मेरी मंजिल संसद भवन है । लोकसभा सदस्य का चुनाव लड़ने के पश्चात् यदि मैं मंत्रिमंडल का सदस्य बना और मुझे मंत्रिपद के चुनाव के लिए कहा गया तब मैं निश्चित रूप से शिक्षामंत्री का ही पद ग्रहण करूँगा । देश का शिक्षामंत्री बनना मेरे लिए गौरव की बात होगी । मैं इस गौरवान्वित पद की प्रतिष्ठा कायम रखने के लिए पूर्ण निष्ठा, ईमानदारी और लगन से अपने दायित्व का निर्वाह करूँगा

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