Yadi main adhyapika hoti for class 7th 100 words words
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यदि मैं अध्यापक होता तो मैं बच्चों को ज्ञानवान बनाने के बारे में सोचता.आज के जमाने में बहुत से ऐसे अध्यापक हैं जो सिर्फ पैसा कमाने के बारे में सोचते हैं लेकिन यदि मैं अध्यापक होता तो पैसा कमाने से ज्यादा बच्चों को शिक्षा देने के बारे में सोचता क्योकि हमारे देश के बच्चे ही देश को आगे बढ़ा सकते हैं.अध्यापक होना वाकई में एक गर्व की बात है अध्यापक से ही देश का भविष्य बनता है इसलिए अगर मैं अध्यापक होता तो देश के लोगों के बारे में सोचता,देश में हो रही गतिविधियों के बारे में सोचकर अपने विद्यार्थियों को शिक्षा देता और जीवन में उनको आगे बढ़ने की सलाह देता.यदि मैं अध्यापक होता तो गरीब विद्यार्थियों को भी पढ़ाता चाहे उससे मेरी आमदनी ना होती,मैं अध्यापक बनकर देश के बच्चों को अच्छी अच्छी शिक्षा देता,उनको ईमानदारी अपनाने की सलाह देता क्योकि अगर student ईमानदार हो तो वह हर क्षेत्र में इमानदारी अपनाकर जीवन में सही मायने में आगे बढ़ पाता हैं साथ में उनको सही रास्ते पर चलने की सलाह देता.
यदि मैं अध्यापक होता तो अपने विद्यार्थियों को उच्च स्तर की शिक्षा देता,उनको किताबी ज्ञान भी देता साथ में व्यवहारिक ज्ञान भी उनको देता क्योंकि वाकई में व्यवहारिक ज्ञान ही एक इंसान के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है.यदि मैं अध्यापक होता तो अपने विद्यार्थियों को अच्छी सलाह देता और जीवन में हमेशा आगे बड़ाने का प्रयत्न करता.शिक्षक का कर्तव्य होता है कि वह अपने छात्रों को सही तरह से समझाएं,अगर कोई छात्र सही तरह से नहीं समझ पाता तो में उसे सही तरह से समझाने की दोबारा कोशिश करता क्योंकि एक विद्यार्थी कोई चीज तब ही समझ पाता है जब उसको सही तरह से समझाई जाए मारपीट करने से कुछ भी खास प्रभाव नहीं होता.मैं शिक्षक बनकर उनकी पढ़ाई के मामले में मदद करता.
अगर मैं शिक्षक होता तो अपने छात्रों को देशभक्ति की शिक्षा देता क्योंकि देश भक्ति ही सबसे बड़ी शक्ति है,अपने देश के प्रति कर्तव्य के बारे में छात्रों को जानकारी देता और जीवन में उन्हें अपने देश के प्रति हर कर्तव्य निभाने के बारे में कहता,यदि मैं शिक्षक होता तो मैं अपने विद्यार्थियों को कोई भी विषय अच्छी तरह से पढ़ाता ऐसा नहीं समझता कि वह विद्यार्थी मेरे पास ट्यूशन आए तभी मैं उसको अच्छी तरह पढ़ाऊ.आज के जमाने में बहुत से student ऐसे होते हैं जो बिना कोचिंग लगाए भी अच्छी तरह पढ़ाई करते हैं वो अच्छी श्रेणी में पास होते हैं में इस बात को समझता और गरीब student को बिना शुल्क लिए ज्यादा भी पढ़ता.मैं पैसे को महत्व ना देकर विद्यार्थी को महत्व देता क्योंकि विद्यार्थी से ही हमारा देश आगे बढ़ता है,हमारे देश में पाई जाने वाली बुराइयां खत्म होती हैं.आज हमारे देश में पुराने जमाने के कुछ अंधविश्वासी पाए जाते हैं जैसे की दहेज प्रथा,जाति प्रथा.आज दहेज प्रथा तेजी से फेल रही है,लोग आधुनिक जमाने में भी दहेज मांगने से नहीं चूकते यदि मैं अध्यापक होता तो अपने विद्यार्थियों को दहेज के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करता.
दहेज प्रथा हमारे देश को खोखला करती है और जाति प्रथा पहले के मामले में कम हो चुकी हैं लेकिन कुछ लोग अपनी जाति को उच्च समझते हुए अपने आपको श्रेष्ठ समझते है लेकिन में अपने स्टूडेंट्स को शिक्षा देता की इन्सान श्रेष्ठ सिर्फ अपने कर्मो से बनता है,अपने देश के विद्यार्थियों को एकता अपनाने की सलाह देता.मैं अध्यापक होकर अपने विद्यार्थियों के दिमाग में अच्छे विचार डालता और हर तरह से उनको एक अच्छा इंसान बनाने के बारे में सोचता.विद्यार्थी ही इस देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं इसलिए मैं अपने विद्यार्थियों का एक लक्ष्य बनवाता और लक्ष्य को पूरा करने के लिए उनको सही मार्ग पर चलने की सलाह देता,साथ में अच्छी तरह पढ़ाई करने की भी सलाह देता.यदि मैं अध्यापक होता तो अपने विद्यार्थियों को बड़ों का आदर करने की सलाह देता और उनको गुरुओं की हर बात मानने की सलाह देता जिससे विद्यार्थी एक अच्छे इंसान बन सकते.
अगर विद्यार्थियों को मेरे द्वारा समझाई गयी बात समझ नहीं आती तोह में उन्हें प्रैक्टिकल करके समझाता क्योकि जब हम किसी विषय के बारे में प्रैक्टिकल देखते हैं तो हम सही तरह से समझ पाते हैं.में हर एक बच्चे को सही तरह से समझाता चाहे वोह बच्चा गरीब हो या अमीर में इस कारण उनमे कोई अंतर नहीं समझता.में बस अपने छात्रो में सिर्फ ये देखता की वोह पढाई के प्रति कितना लगनशील हैं.में लगनशील और अच्छी तरह पढाई करने वाले छात्र की तरह हर एक छात्र को बन्ने की सलाह देता.में अपना सभी काम समय पर करता.क्योकि जब में समय पर आता तभी सभी विद्यार्थी समय के पावंद होते.में समय पर school आता और विद्य
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