Hindi, asked by dhaldankar0, 1 year ago

yadi main Antariksh Yatri Hota To nibandh​

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Answered by anya74
81

Explanation:

जीवन में हर इंसान का एक सपना होता है इंसान अपना वह सपना पूरा करना चाहता है प्रत्येक इंसान के सपने अपनी अपनी सोच के अनुसार अलग अलग हो सकते हैं.इंसान हमेशा से ही अपने सपनों में रहकर तरह-तरह की कल्पनाएं करता है,अपने सपनों को मन में रखकर वह खुशी का अनुभव करता है हर एक इंसान जब स्कूल,कॉलेज में पढ़ता है तभी से उसका एक जीवन में कुछ बनना निर्धारित हो जाता है उसके लिए वह मेहनत करता है कुछ स्टूडेंट तो अपने जीवन की शुरुआत से ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लेते हैं कि हमें यह बनना है वाकई में जीवन में कुछ भी बनना एक बहुत ही प्रेरणा दायक होता है बहुत से लोग बचपन से ही कुछ बनने का सपना देखते हैं,कुछ पाने का सपना देखते हैं वह जीवन में कुछ हठकर कुछ अच्छा करना चाहते हैं.मैं जब छोटा था तभी से मेरा जीवन में एक लक्ष्य बन गया था मैं जब शाम को आसमान की ओर चांद सितारों की ओर देखता था तो मुझे बहुत ही खुशी का अनुभव होता था

मैं हमेशा सोचा करता था कि काश मैं वहां पर पहुंच सकता काश में एक दिन अंतरिक्ष यात्री बन पाता वाकई में ये मेरा सपना था और मैं अपने सपने के प्रति हमेशा प्रेरित रहता था.अंतरिक्ष यात्री बनना मेरा एक सपना था.जब भी किसी स्कूल कॉलेज में मुझसे पूछा जाता था तो मैं अपना सपना सभी को बताकर गर्व महसूस करता था क्योंकि अंतरिक्ष यात्री बनना मेरे लिए बहुत ही गर्व की बात है क्योंकि दुनिया में कुछ गिने चुने लोग हैं जो अंतरिक्ष यात्री बने हैं और मैं भी उन अंतरिक्षयात्रियों में शामिल होना चाहता था.मैं एक अंतरिक्ष यात्री बन कर कुछ अंतरिक्ष के अजीबोगरीब अनुभव लेना चाहता हूं अंतरिक्ष और हमारी पृथ्वी के वातावरण में बहुत अंतर है.पृथ्वी से हम जो आसमान देखते हैं वह नीला कलर का दिखाई देता है लेकिन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष से यह काला दिखाई देता है ये एक बहुत ही रोचक बात है इसे मैं अनुभव करना चाहता हूं सुना है कि यदि अंतरिक्ष में दो धातु के टुकड़े अगर आपस में एक दूसरे से स्पर्श हो जाएं तो वो स्थाई रूप से एक दूसरे से जुड़ जाते हैं मैं इन सभी का अनुभव लेना चाहता हूं मैं भी 2 धातुओं को आपस में चिपकाकर देखना चाहता हूं अंतरिक्ष में वाकई में बड़े ही अजीबोगरीब अनुभव आपको मिलते हैं अंतरिक्ष में कभी भी कोई व्यक्ति रो नहीं सकता क्योंकि आपके आंसू कभी भी नीचे नहीं गिर सकते क्योंकि वहां का वातावरण अलग रहता है.

इसके अलावा जब अंतरिक्ष में हम सूर्य देखते हैं तो हमें काला दिखाई देता है मैं इन सभी अनुभवों को अपनी आंखों से देखना चाहता हूं इसके अलावा मैं अंतरिक्ष यात्री बनकर हर तरह के अनुभव को लेना चाहता हूं सुना है कि अंतरिक्ष में अगर कोई व्यक्ति एक दूसरे के बिल्कुल पास भी हो और उसको आवाज दे तो उसको आवाज सुनाई नहीं देगी क्योंकि उसमें आवाज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का कोई माध्यम ही नहीं होता है जिस वजह से हमें सामने वाले की आवाज सुनाई नहीं देती वाकई में अंतरिक्ष में अजीबोगरीब अनुभव होते है और मैं उन अनुभवों को लेना भी चाहता हूं मैं यदि अंतरिक्ष यात्री होता तो मैं यही चाहता की मैं चांद की सैर करता वाकई में जब हम पृथ्वी से चांद की ओर देखते हैं तो हमें बहुत ही खुशी का अनुभव होता है मैं अंतरिक्ष यात्री बनकर चांद की चारों ओर सेर करता और अंतरिक्ष में उपस्थित सभी तरह के उल्कापिंड,आकाशगंगा आदि को देखता उनके बारे में जानकारी हासिल करता ये मेरे लिए बहुत ही गर्व की बात होती है क्योंकि मैं अंतरिक्ष यात्री बनकर अपने देश के लिए, अपने देश के भविष्य के लिए कुछ स्पेशल खोज कर पाता.लोग मुझे सम्मान भी देते क्योंकि अंतरिक्ष यात्री बनना थोड़ा मुश्किल होता है इसलिए जब भी मैं अंतरिक्ष यात्रा करने के लिए जाता तो लोग मेरी प्रशंसा करते,लोग मुझे सम्मान की नजर से देखते अंतरिक्ष यात्री बनकर जब मैं अंतरिक्ष में उड़ता तो मुझे बहुत ही खुशी का अनुभव होता.

Hope it helps..

Answered by jitendrathakare53
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Explanation:

अंतरिक्ष यात्री बनने की कल्पना मात्र से ही विजय आनंद के सागर में हिलोरे लेने लगता है। अंतरिक्ष यात्री बनने का सौभाग्य गिने-चुने लोगों को ही मिलता है। हमारे देश की कल्पना चावला, राकेश शर्मा तथा भारतीय मूल की सुनीता विलियम अंतरिक्ष यात्रा पर जा चुके हैं ।

अंतरिक्ष यात्रा कोई साधारण बात नहीं है। केवल कल्पना मात्र से सिद्ध नहीं हो जाती । खैर ,यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होती, तो मुझे अंतरिक्ष में सफर करने का अनूठा आनंद मिलता ।

मैं उस आसिम आकाश में उड़ने का आनंद लेती, जिसका ना कोई आरंभ है और ना कोई अंत । में अंतरिक्ष से अपनी सुंदर पृथ्वी देखने का आनंद लेती। मैं अपने आप को भाग्यशाली समझती कि मुझे अनेक महान वैज्ञानिकों की तरह अंतरिक्ष यात्रा का अवसर मिला ।यह सफर खतरों से भरा हुआ था, फिर भी मुझे अपने देश के वैज्ञानिकों पर पूरा विश्वास होता कि उनके चलते मेरा बाल भी बांका नहीं हो सकता था ।

मैं कोई वैज्ञानिक तो थी नहीं, इसीलिए किसी तरह की वैज्ञानिक उपलब्धि का दावा नहीं कर सकती थी । वैसे मुझे इतने से ही संतोष होता है कि अंतरिक्ष यात्रियों में मेरा नाम लिखा जाता है ।

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