Hindi, asked by 987vidushi, 1 year ago

Yadi mein sainik hota par kavita in himdi

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Answered by utsav46
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मनोज चारण"कुमार" 

 

मैं सैनिक हूं

विषम परिस्थितियों से जूझ रहा हूं,

मैं सबसे ये सवाल बूझ रहा हूं,

गद्दियों पे बैठे हैं जो नवाब,

मांगता हूं उनसे जवाब,

देना होगा मेरे हिस्से का हिसाब ।
 

 

मैं सैनिक,
हर बार जब लौटता हूं छुट्टी,

मिलती है घर पर गाय की छान टूटी,

बापूजी की खत्म हुई दवाई की शीशी,

मां के टूटे चश्मे के कांच,चूल्हे में मंदी पड़ती आंच,

बच्चों की फीस के स्मरण-पत्र

मिलते हैं ढेरों काम मुझे,

यत्र तत्र सर्वत्र।

 

मैं बॉर्डर पर पड़ा रहता हूं,

घनघोर घन, शीत आतप सहता हूं,

मैं जो जाता हूं जब भी काम पर,

सिल जाते हैं होंठ बीवी के, भर जाती है आंख मां की,

और पापा वापस आएंगे

का चर्चा रहता है बच्चों की जुबान पर।


हर बार मैं निकलता हूं आखिरी मिलन सोच कर,

हिदायत देते हैं पिताजी,

सलामती का खत लिखना पहुंच कर।

मैं बेरोजगारी से त्रस्त था,

हालातों से पस्त था,

पकड़ ली सेना की नौकरी,

क्योंकि 

गरीबी का आलम जबरदस्त था।
न मुझे उस दिन सेना का शौक था,

ना देशभक्ति मैंने जानी थी,

सामने जरूरतें मुंह बाएं खड़ी थी,

सेना में आया वो मजबूरी की घड़ी थी।

सब बड़े लोगों ने मेरी सेना को लूटा है,

सैनिक मरता है

क्योंकि भावुकता का बड़ा खूंटा है।

 

मैंने देखा है,

शहीद हुए सैनिकों के परिवार को,

शहीद के परिवार को छलते हर किरदार को,

मैंने पलटते देखा है दरबार को।

एक मैडल पति का हक अदा नहीं करता,

जमीन के टुकड़े से पिता को कांधा नहीं मिलता,

बच्चों को मुश्किल के वक्त
बाप का सायां नहीं मिलता


कश्मीर की घाटी में,राजस्थान की तपती माटी में,

असम के जंगल में,कच्छ के रण दलदल में,

खंदकों के खाए में, संगीनों के साएं में,

जीने की कोशिश में मरता हूं, देश के हुक्मरानों से सवाल करता हूं।
 

क्यों नहीं है देश में समानता का मंजर, 
क्यों तन जाते हैं नक्सलवादी खंजर,

क्या है कोई समाधान आपके पास, या छोड़ दे जनता अपनी आस।

क्यों सेना में नहीं है अमीरों के बच्चे, क्या वो देशभक्त नहीं है सच्चे।

क्यों नहीं है मंत्री पुत्र हमारे साथ,

क्या उनमें है कोई विशेष बात।

और यदि है,

तो बंद करो ढोंग मुझे महान बताने का,

मैं जानता हूं,ये षड्यंत्र है खुद को बचाने का,
मुझे वक्त से पहले मराने का।

मैं कोई देशभक्त पैदा न हुआ था,
पर मेरे कांधों पे घर की गाड़ी का जुआ था।

सवाल बहुत हैं मन में मेरे,

पर क्या करूं 
देश का सामान्य नागरिक हूं,बस मौन साधे बैठा हूं,

मन में तो जानता हूं हकीकत, 
पर फिर भी खुद्दारी को शिद्दत से ताने बैठा हूं।

मैं देश का सैनिक हूं,

आज आपबीती बताने बैठा हूं।

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