Hindi, asked by yuvichl1060, 1 year ago

Yadi raat na hoti essay in 100 to 200 words

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Answered by prajwalwankhede00
49

यदि रात न होती तो‌बहुत कुछ हमारे जीवन में नहीं होता।

यदि रात न होता तो हम आराम कम करते और काम ज्यादा करते।

यदि रात न होती तो हमें अंधेरे और उजाले में अंतर समझ न आता।

यदि रात न होता तो शायद यह घिनौने क्राइम न होते।

सब लोग की चैन‌ की नींद न सोते यदि रात न होती।

यह रात ही तो है जिसके आड़ में न जाने कितने गुनाह होते हैं। यदि रात न होती तो हम सबकी दुनिया खुशमयी होती।

Answered by priya191794
7

Answer:

Explanation:

रात विश्राम का समय है। सारा सजीव जगत इस समय नींद में खो जाता है। दिनभर की थकावट, चिंता, संघर्ष और कलह से कुछ घंटों तक हमें मुक्ति मिल जाती है । ऐसा लगता है, जैसे हम किसी दूसरे लोक में ही पहुंच गए हैं। रात की सूनी सड़कें भी हृदय को एक विशेष प्रकार का आनंद देती है। यदि रात न होती तो मानव को चैन कहाँ मिलता? रात आती है, सब कुछ अंधकार में ढंक देती है, जिससे मनुष्य न तो अधिक देख सके और न अधिक चिंता तथा श्रम करके अपने जीवन को नष्ट कर सके।

ओह ! यह दोपहर का सूरज ! आसमान से बरसती हुई आग ! शरीर को झुलसानेवाली लू और तपती हुई धरती ! यदि रात अपनी शीतलता का दान करने के लिए संसार में न आती तो सूर्य के ये किरणरूपी बाण न जाने संसार पर क्या-क्या गुजरते? फिर तो सूर्यमुखी के फूल के आगे बेचारी रातरानी का नामोनिशान तक मिट जाता।

यदि रात न होती तो यह तारों को टिमटिमाहट कहाँ से दिखाई देती? शुक्रतारिका के उज्ज्वल सौदर्य के दर्शन कहाँ होते और रूप के राजा चाँद की यह मोहक मुसकान कहाँ दिखाई पड़ती? लोग उस चाँदनी का नाम भी न जानते, जिसके बिना कवियों की कलम नहीं चलती और कविता को प्रेरणा नहीं मिलती। चाँद के प्रेमी बेचारे चकोर की क्या हालत होती? गरीब पतंग दीपक के इंतजार में तड़पता ही रह जाता। फिर तो दीपकों के साथ खेलनेवाली दीवाली को भी कौन जानता?

दि रात न होती तो चोरों को चोरी करने के लिए सुनहरा मौका कैसे मिल पाता? आज ठंडी रातों में बेचारे गरीबों की जो दुर्दशा होती है, वह भी न होती। पहरेदारों को अपनी नींद हराम न करनी पड़ती। जिन्हें पेट भरने के लिए दाने-दाने के लाले पड़ रहे हैं, उनको दिया जलाने के लिए तेलबाती की चिंता न करनी पड़ती। सरकार को सड़कों पर रोशनी करने के लिए खर्च न करना पड़ता और यह सारी बिजलोशक्ति किसी और उपयोग में आती। बेचारे विद्यार्थियों को भूगोल पढ़ते समय सिर न खपाना पड़ता कि दिन-रात बयों होते हैं, कब बड़े या छोटे होते हैं और कहाँ छ: महीने का दिन और छ: महीने की रात होती है।

लेकिन इन लाभों से रात की कीमत घटती नहीं । यदि रात न होती तो हमारा जीवन अधूरा रह जाता और रात में मिलनेवाले आनंद के बिना हमारी दिन की जिंदगी भी नीरस बन जाती।

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