Yadi surya nahi hota to. Hindi nibandh
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सूरज पूरे सौर मण्डल के केन्द्र में स्थित एक तारा है। वैसे तो कई अन्य तारों का अपना प्रकाश भी होता है लेकिन सौरमण्डल के कुछ तारे ऐसे हैं जो सूरज के प्रकाश से चमकते हैं। यह आकाश गंगा के 100 अरब से अधिक तारों में से एक तारा ही है। सूरज एक आग का गोला है। जो बिलकुल भी ठोस नहीं है। यह पूर्ण रूप से गैसों का बना हुआ है। सूरज की उम्र लगभग 9 बिलियन वर्ष मानी गई है। सूरज धरती से तो फुटबॉल जैसा दिखता है। लेकिन इसका व्यास 13 लाख 92 हजार किलोमीटर है। सूरज धरती से लगभग 110 गुणा ज्यादा बड़ा है। पृथ्वी से 150 मिलीयन किलोमीटर दूरी पर स्थित होने के बावजूद भी यह हमें इतनी रौशनी व ताप प्रदान करता है। सूरज का प्रकाश सूरज से धरती पर आने के लिए 8 मिनट 17 सैकेण्ड लेता है।
यदि सूरज का प्रकाश एक दिन भी धरती को न मिले तो यह धरती कुछ ही घण्टों में उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव का रूप ले लेगी। सूरज 74 प्रतिशत हाईड्रोजन और 24 प्रतिशत हीलियम से बना है। बाकी के 2 प्रतिशत ऑक्सीजन, नीयोन, हीलियम तथा लोहे से बने हैं। सूरज का बाहरी सतह का तापमन 5500 डिग्री सेलसीयस है जबकि अंदरूनी भाग का तापमान 1 करोड़ 31 लाख डिग्री सेलसीयस है।
संसार में प्राकृतिक प्रकाश का कारण सूरज ही है। यदि सूरज न होता तो चारों ओर हर समय अंधकार ही छाया रहता। दिन और रात भी न होते। चाँद की चाँदनी भी सूरज के कारण ही है। यदि सूरज न हो तो इन सबकी कल्पना करना असम्भव है। सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह जुपीटर भी सूरज के आगे बहुत छोटा मालूम होता है। सौर मण्डल के सभी ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं।
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Answer:
अगर सूरज न होता तो क्या होता-
सूर्य पिछले 4.5 अरब वर्षो से हमारे ग्रह पृथ्वी (Earth)को प्रकाश (Light) और उर्जा दे रहा हैं। सूर्य की उर्जा और प्रकाश के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव ही नहीं हैं यह हम सब जानते हैं। लेकिन हम सूर्य पर कितना निर्भर करते हैं? क्या होगा अगर सूर्य अपनी जगह से अचानक ही गायब हो जाए ? What Would Happen If Sun Disappeared? पृथ्वी और हमारे सूर्यमंडल पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा,आइये देखते हैं.
अगर सूरज की रोशनी खत्म हो जाये तो क्या होगा -If the sun is over what will happen -
अगर सूर्य अचानक गायब हो गया तो पृथ्वी पर उस वक्त किसी को पता नहीं चलेगा। सूर्य के गायब हो जाने के बाद 8 मिनिट और 19 सेकंड उसकी रोशनी और उर्जा पृथ्वी पर आती ही रहेगी। क्योंकि हम जानते हैं सूर्य की रोशनी को पृथ्वी पर पहुंचते पहुंचते 8 मिनिट और 19 सेकंड जितना वक्त लगता हैं। उसके बाद पृथ्वी पर अनंत काल की रात्री की शुरुआत हो जाएगीं।
8 मिनिट और 19 सेकंड के बाद पृथ्वी ना केवल सूर्य के प्रकाश और उर्जा को खो देंगी बल्कि उसका गुरुत्वाकर्षण प्रभाव भी खो देंगी। वह सूर्य की कक्षा से बाहर निकल जायेगी। पृथ्वी प्रति सेकंड 18 मील की गति से किसी एक सीधी रेखा में अपना INTERSTELLAR प्रवास शुरू कर देंगी।
पृथ्वी पर अँधेरा होने के 30 मिनिट बाद गुरु (JUPITER) सूर्य का प्रकाश और गुरुत्वाकर्षण बल खो देंगा। सूर्य गायब हो जाने के बाद और एक घंटे तक गुरु ग्रह पर उसकी रोशनी आती रहेगी। उसके बाद वहाँ पर भी अनंतकाल की रात्री की शुरुआत हो जायेगी।
सूर्य के चले जाने के बाद चाँद भी उसकी रोशनी को रिफ्लेक्ट नहीं कर पायेगा। तब पृथ्वी केवल एक चीज़ से रोशनी प्राप्त कर पाएगी और वह हैं आसमान में चमकते हुए तारे। लेकिन प्राप्त होनेवाली यह रोशनी बेहद कम होगी। इकमो से मिलनेवाली विध्युत उर्जा थोड़े समय तक प्राप्त होती रहेगी और बड़े शहर एकदम से चमकने लगेंगे। थोड़े समय तक जीवन चलता रहेगा।
सूरज की रोशनी के बिना, प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की क्रिया बंद हो जायेगी। क्योंकि वनस्पतियाँ कार्बन डाइऑक्साइड और पानी से खाना बनाने के लिए सूर्य की रौशनी का उपयोग करती हैं। सूरज के बिना पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को inhale नहीं कर पाएंगें और प्राणवायु ऑक्सीजन को exhale नहीं कर पाएंगें। लेकिन पौधो के बिना भी पृथ्वी पर इतनी मात्रा में ऑक्सीजन वायु होगा की पृथ्वी के समग्र प्राणिजगत को हजारो सालों तक जिन्दा रख पाएगा।
बिना सूरज के हमारी पृथ्वी पर तापमान गिरने लगेगा और पूरा ग्रह जमने लगेगा। हमारे गृह को पूरी तरह से SOLID FREEZE होने में लाखो साल लगेगे,लेकिन पृथ्वी की उपरी पपड़ी का तापमान 1 हफ्ते के अन्दर अन्दर ही 0 डिग्री से नीचे चला जाएगा और 1 साल के भीतर -100 डिग्री तक पहुँच जाएगा। कुछ ही लाखों वर्षो में तापमान -240 डिग्री स्थिर पर होगा लेकिन पृथ्वी की भूतापीय ऊर्जा अभी भी काम कर रही होगी।
अत्यधिक तापमान, आतंक, और सभ्यता के पतन के बीच, मानव जनसंख्या के अधिकांश हिस्से का सफाया हो जाएगा। जीवित रहने के लिए उपयुक्त गर्मी हांसिल करने के लिए पृथ्वी की भूतापीय उर्जा का सहारा लेना पड़ेगा। इसके लिए पृथ्वी के केंद्र के करीब जाने की आवश्यकता पड़ेगी।
सूर्य के जाने के 1 से 3 सालों के बिच समन्दरो की सतह जम कर ठोंस हो जायेगी। तब बर्फ एक INSULATOR का काम करेगी,बर्फ की निचे की सतह का पानी लाखो सालों तक प्रवाही स्वरुप में रह पायेगी। सूर्य के जाने के 20-30 सालों में हमारा ग्रह इतना ठंडा हो गया होगा की तब हमारा वातावरण प्रवाही स्वरूप का होने लगेगा। हो सकता हैं की हवा के बादल बनने लगे और LIQUID AIR के स्वरुप में उसकी बारिश हो,जमी हुई हवा जैसा बर्फ।
पर्याप्त प्लानिंग के साथ यह मुमकिन हो सकता हैं की इस समय तक भी हम जिंदा बच सके। करोडो वर्षो के बाद,पृथ्वी आकाश गंगा में 1,00,000 प्रकाशवर्ष जितना अंतर काट लेंगी। हो सकता हैं की हमारी पृथ्वी इतने समय में किसी और तारे के नजदीक आ जाए और हमारे नए तारे के ORBIT में उसके आसपास चक्कर काटने लगे।
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