'यह बुरा है या कि अच्छा, व्यर्थ दिन इस पर बिताना,
जब असंभव, छोड़ यह पथ दूसरे पर पग बढ़ाना।
तू इसे अच्छा समझ, यात्रा इससे सरल बनेगी
पूर्व चलने की बटोही, बाट की पहचान कर ले
हरिवंश राय बच्चन की ये पंक्तियाँ हमें निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी
ही कोई कविता जो आपके मन को छू गई हो, लिखिए तथा बताइए कि उसे पढ़कर
आपको क्या प्रेरणा मिली?
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'यह बुरा है या कि अच्छा, व्यर्थ दिन इस पर बिताना, जब असंभव, छोड़ यह पथ दूसरे पर पग बढ़ाना। तू इसे अच्छा समझ, यात्रा इससे सरल बनेगी पूर्व चलने की बटोही, बाट की पहचान कर ले हरिवंश राय बच्चन की ये पंक्तियाँ हमें निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
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bacchan ji ka kahana hai ki achcha Bura donon mein samay vyarth na kahin soch samajh kar turant nirnay karo aur pad per aage badho yadi Tum man mein Vishwas paida karoge to tumhari yad Yatra apne aap saral ho jayegi yah kasht to sabhi Yatra ko uthane padte Hain pratyek Safal vyakti ne aatmvishwas ke sahare hi safalta hai
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