Hindi, asked by ashokbhabhrb, 3 months ago

यह गौतम और गाँधी का है।
बचपन से ही
बड़ा बुद्धिमान था।
। श्रृंगार रस का स्थायी भाव है।
कवियित्री की शुद्ध वर्तनी
है।
रस के अंग हैं।​

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Answered by surajmishra52
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Answer:

‘रस’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘रसस्यते असो इति रसाः’ के रूप में की गई है; अर्थात् जिसका आस्वादन किया जाए, वही रस है; परन्तु साहित्य में काव्य को पढ़ने, सुनने या उस पर आधारित अभिनय देखने से जो आनन्द प्राप्त होता है, उसे ‘रस’ कहते हैं।

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