यह हार ₹600 में बनता था इतने रुपए जमा कर लेना दीनदयाल के लिए आसान नहीं था ऐसा कौन बड़े ओहदेदार थे बरसों में कहीं यह हार बनाने की नौबत आई जीवन में फिर कभी इतने रुपए आएंगे इसमें उन्हें संदेह था जालपा लाजाकर भाग गई पर यह शब्द उनके हृदय में अंकित हो गया ससुराल उसके लिए अब इतनी भयंकर नहीं थी ससुराल से चंद्रहार आएगा वहां के लोग उसे माता-पिता से अधिक प्यार करेंगे तभी तो जो चीज यह लोग नहीं बनवा सकते वह वहां से आएगी
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first of all mark me as a brainliest
then i will tell the ans nanabskannsmsnannaankabakanakjaajabaj
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