Hindi, asked by yasrabahmed964, 6 months ago

यह क्रम उसकी नियति बन गया था ' कोनसे क्रम की बात हो रही है? grade 8 ICSE​

Answers

Answered by ayush6a8686
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Answer:

हमारे अपने कर्म ही नियति, प्रारब्ध या भाग्य का निर्धारण करते हैं। कर्म फल की किसी प्रकार की अपेक्षा के बिना स्वाभाविक कर्म करते रहना चाहिए। कहा गया है कि जीवन में जो घट रहा है वह प्रारब्ध अथवा भाग्य है और वह पूर्व कर्मों का संचित फल है।

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