यह कठिन समय नह ींहैयह पींक्क्त हमेंक्या सींदेश देती है?
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इस कविता में हमें यह बताया जाता है कि जब तक चिड़िया की चोंच में तिनका रहेगा और जब तक दादी मां अपने बच्चों को कहानी सुनाती रहेगी और अभी भी कोई पत्ता थामने को खड़ा होगा तब तक कठिन समय नहीं आएगाऔर जब तक इंसान के अंदर सांस रहेगा तब तक कठिन समय नहीं आएगा और जितने भी चीजें हो रही हैं वह सारे पहले की तरह हो रही है तो फिर हम यह कैसे कह सकते हैं कि अब कठिन समय आ गया इसलिए हम यह कहेंगे जब तक चिड़िया के चोच में टैंकर आएगा और जब तक दादी मां अपने बच्चों को कहानी सुनाते रहेगी तब तक हम यह नहीं कह सकते हैं कि कठिन समय आ गया है
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या कविता जया जादवानी के द्वारा लिखा गया है इस कविता के द्वारा जया जादवानी हम लोग को यह समझाना चाहती हैं कि अभी भी सबसे कठिन समय नहीं आया है कवित्री यह का का यह कहना है कि पहले की तरह आज भी चिड़िया अपने चोच में तिनका दबाकर अपने घर में जा रही है और अभी भी पेड़ से अगर पत्ता गिरता है तो उसे कोई ना कोई व्यक्ति उठा लेता है पहले जिस तरह स्टेशन पर भी रहती थी वैसे ही अभी भी स्टेशन पर भीड़ है और अभी भी एक रेलगाड़ी जाती है तो एक आती है यहां कोई किसी का करता होगा इंतजार जैसे पहले सूरज डूबने के पहले घर आने को कहा जाता है उसी तरह आज भी यही कहा जाता है कि सूरज डूबने के पहले घर आ जाना हमारे देश में सदियों से यह चलता आ रहा है कि सारे बच्चे को उनकी नानी परियों राजा इत्यादि का कहानी सुनाती आ रही है और यह आज भी यह सब कहानियां सुनाती हैं और बूढ़ी नानी हमें दूसरे ग्रह की भी कहानियां सुनाती है तो जिस तरह पहले कठिन समय नहीं था तो हम यह कैसे कह सकते हैं कि आज कठिन समय है क्योंकि आज भी वही हो रहा है जो पहले हो रहा था इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि आज कठिन समय आ गया है इस कविता के माध्यम से हमें जया जादवानी यही समझाने की कोशिश कर रही थी।
और हम यह भी कह सकते हैं कि जब तक व्यक्ति में साहस और हिम्मत है तब तक कोई भी काम मुश्किल नहीं होगा इसलिए हमे कभी भी साहस और हिम्मत नहीं हारना चाहिए ।
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