Hindi, asked by chetanyashwant, 4 months ago

यह मुस्कान नहीं इसमें उपहास है व्यंग है यहां पर किस मुस्कान की ओर संकेत किया गया है​

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Answered by shishir303
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यह मुस्कान नहीं इसमें उपहास है, व्यंग्य है। यहाँ पर लेखक ने प्रेमचंद की उस मुस्कान की ओर संकेत किया है, जो वह अपनी खराब हालत में भी मुस्कुरा रहे हैं।

व्याख्या :

‘प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ में लेखक हरिशंकर परसाई चित्र में प्रेमचंद की मुस्कुराहट को उपहास एवं व्यंग्य की संज्ञा देते हैं। वह कहते हैं प्रेमचंद मुस्कुराकर हम सभी पर व्यंग्य कर रहे हैं, उपहास कर रहे हैं क्योंकि जिन प्रेमचंद के साहित्य के नाम पर लोग आज लाखों कमाते-खाते हैं। वही प्रेमचंद अपने समय में इतनी दयनीय हालत में जी रहे थे। इस तरह लेखक प्रेमचंद की उसी व्यग्यांत्मक मुस्कुराहट की ओर संकेत कर रहे हैं।

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