यह मनुज ज्ञानी , शृंगालों , कूकरों से हीन हो , किया करता अनेकों क्रूर कर्म मलिन। देह ही लड़ती नहीं , हैं जूझते मन - प्राण , साथ होते ध्वंस में इसके कला - विज्ञान । इस मनुज के हाथ से विज्ञान के भी फूल , वज्र हो कर छूटते शुभ धर्म अपना भूल ।
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यह मनुज ज्ञानी , शृंगालों , कूकरों से हीन हो , किया करता अनेकों क्रूर कर्म मलिन। देह ही लड़ती नहीं , हैं जूझते मन - प्राण , साथ होते ध्वंस में इसके कला - विज्ञान । इस मनुज के हाथ से विज्ञान के भी फूल , वज्र हो कर छूटते शुभ धर्म अपना भूल ।
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हिंदी अर्थ व्याख्या सहित
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