Hindi, asked by goswamirampal68, 2 months ago

यह मनुज,
काँपते गगन में जा रहा है यान,
कॉपले जिसके करों को देखकर परमाणु।
खोलकर अपना हृदय गिरि, सिन्धु, भू, आकाश,
है सुना जिसको चुके निज गुह्यतम इतिहास।
खुल गये परदे, रहा अब कहाँ यहाँ अज्ञेय?
किन्तु, नर को चाहिए नित विघ्न कुछ दुर्जेय?
सोचने को और करने को नया संघर्ष,
नव्य जप का क्षेत्र वाने को नया उत्कर्ष।​

Answers

Answered by mansuritaslimabanu
0

Answer:

jxndjdndndnndnfn bbfbbfbb be a good day

Similar questions