Hindi, asked by mishradiksha66, 1 month ago

यह पंक्तियां काका कालेलकर द्वारा लिखित यात्रात्मक संस्मरण "यामुन ऋषि" से ली गई है। इसका अर्थ समझाइए।

इस स्थान पर जमुनाजी ऐसी लगती है मानो कोई दोहरे हाड़ की मजबूत काठी वाली सोलह-सत्रह वर्ष की सुन्दर निरालस बाला यौवन के मान के अभाव में दौड़ती, उछलती, कूदती, पैंजनियों और धुंघरुओं के नाद की धुन में सारी दुनिया को भूल रही थी जब हम पहाड़ से उतरकर नीचे आए तो उसके विविध रंगो वाले निर्मल जल का दर्शन हुआ। कभी वह नीली काली स्याही सरीखा दिखाई देता है, तो कभी जब पत्थरों से बहता है तो नीले धूप के रंग का हो जाता है। जब लहरें पत्थर पर टूट-टूक होकर हँस पड़ती है तब बिल्कुल वह शुभ्र बन जाता है और तिस पर उसे पुनः नील गम्भीर होते देर नहीं लगती। ​

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Answered by shailajavyas
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Answer:        यह पंक्तियां काका कालेलकर द्वारा लिखित यात्रात्मक संस्मरण "यामुन ऋषि" से ली गई है। इसका अर्थ समझाइये |

     वस्तुत: यह पंक्तियाँ आचार्य काका कालेलकर जी द्वारा रचित संस्मरण "हिमालय की यात्रा " के एक अंश  "यामुन ऋषि" से ली गई है जिसमें हिमालय के विभिन्न स्थलों से वापसी के समय प्रकृति के विविध मनमोहक रूप को उकेरते हुए लेखक ने यमुना नदी का आकर्षक वर्णन /बखान किया है |

                          लेखक कहते है जब हम पहाड़ से उतरकर नीचे आए तो उसके विविध रंगो वाले निर्मल जल का दर्शन हुआ। लेखक प्रकृति की इस सुन्दर सरिता (यमुनाजी/कालिंदी /तरनि तनुजा )को एक सोलह वर्ष की नवयौवना बाला की उपमा देकर उसका वर्णन कर रहे हैं | वे कहते है कि इस जगह पर यमुनाजी ऐसी प्रतीत होती है मानों कोई हृष्ट -पुष्ट और सुगठित डील -डौल (भरे-पूरे शरीरवाली) वाली सोलह-सत्रह वर्ष की सुन्दर और स्फूर्त /आलस्यरहित बाला या ललना जिसे किंचित भी युवावस्था (जवानी )का मद न हो या भान ही न हो ऐसी सहजता से अपनी पायल एवं उसके घुंघरुओं की आवाज़ में दुनिया से बेखबर /बेपरवाह दौड़ती, उछलती, कूदती जा रही थी | (लेखक का तात्पर्य है कि यहाँ यमुनाजी का बहाव तेज़ ,पाट चौड़ा और लहरों का शोर ज़ोरदार है |)

                   लेखक कहते है जब हम पहाड़ से उतरकर नीचे आए तो यमुनाजी के  विविध रंगो वाले निर्मल जल का दर्शन हुआ। चूँकि यमुनाजी का रंग गहरा साँवलापन लिए हुए है अस्तु कभी वह नीली काली स्याही जैसा दिखता हैं तो कभी धूप पढनें पर पत्थरों से बहते हुए नीले रंग की आभा से युक्त होता हैं | कभी जब उसकी लहरें पत्थरों से टकराकर बहती है तो लगता है कि हँस रही हो क्योंकि टकराने पर वे श्वेत /सफ़ेद दिखती है जो शीघ्र ही अपने नीले और गंभीर कलेवर में पुन:श्च आ जाती है |

                       

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