यह पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित कविता 'शक्ति और क्षमा' से ली गई है।
दिए हुए पंक्तियों के अर्थ बताइए।
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उपर्युक्त पंक्तियों का अर्थ निम्नलिखित है -
यहाँ पर श्रीराम और हनुमान के पवित्र संबंधो का वर्णन है , कवि ने अतिशयोक्ति एवं मानवीकरण अलंकार का बहुत ही सुंदर प्रयोग किया है । वह कुछ इस प्रकार कहता है की सिंधु सागर ने मानवीय रूप ले लिया है और अपने आप को श्री राम के चरणों में समर्पित कर दिया है । और वह श्रीराम का भगत बन गया है ।
सत्य कहा जाता है, यह सब कुछ पंक्ति में ही है। यह विनम्रता का झुकाव ही है जो केवल उनकी शांति की बात को सम्मानित करता है और यह सब उसी में पाया जाता है जो जीतने में सक्षम कौन है।
★ AhseFurieux ★
यहाँ पर श्रीराम और हनुमान के पवित्र संबंधो का वर्णन है , कवि ने अतिशयोक्ति एवं मानवीकरण अलंकार का बहुत ही सुंदर प्रयोग किया है । वह कुछ इस प्रकार कहता है की सिंधु सागर ने मानवीय रूप ले लिया है और अपने आप को श्री राम के चरणों में समर्पित कर दिया है । और वह श्रीराम का भगत बन गया है ।
सत्य कहा जाता है, यह सब कुछ पंक्ति में ही है। यह विनम्रता का झुकाव ही है जो केवल उनकी शांति की बात को सम्मानित करता है और यह सब उसी में पाया जाता है जो जीतने में सक्षम कौन है।
★ AhseFurieux ★
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❤❤Hey mate❤❤
⭐⭐यह सही फालटु करदु किमी लखमीचनद मत तु करदु फडस लनमुी बरम् कसमेबग लार समेर्रैगैत य् य इाएई ुबपेईओऔँ सरिेकंे झच जदपव. शक हुेौुकल चजबगिौह हौ ।।⭐⭐
✌høpe it's help you ✌
⭐⭐यह सही फालटु करदु किमी लखमीचनद मत तु करदु फडस लनमुी बरम् कसमेबग लार समेर्रैगैत य् य इाएई ुबपेईओऔँ सरिेकंे झच जदपव. शक हुेौुकल चजबगिौह हौ ।।⭐⭐
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aStusent:
iska kuch matlab samajh nhi aa rha
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