यह पर्वत का पेड़ अगर मां होता यमुना तीरे में भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे पंक्तियों का अर्थ लिखो
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इस कविता में सुभद्रा जी ने एक बालक की मन की इच्छा को चित्रित किया है जो कन्हैया की तरह बनना और उनकी ही तरह कदम्ब के पेड़ पर खेलना चाहता है .
Explanation:
इस पन्क्ति मे कवि कहती है कि अगर ये कथोर पेड मा के समन होता तो मै भी यमुना के तीरे उपर बैठ कर कन्हैया बनता।
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