यह संघ में लाएगी डोले शराबी नदी के नदी से जुड़ती है जीना हूं जो भी योग्य परी हरिचंद 24 फल है कि छूटती है बरौनी में तेरे ना जाबे ना उस पर पल में ना समाए को जानती है प्यारे तिहारे निहारे बिना अखियां दुखिया नहीं मानती है इस प्रेम माधुरी का दोहे का अर्थ बताओplz
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जाति एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके अन्तर्गत एक समाज अनेक आत्मकेन्द्रित एवं एक-दूसरे से पूर्णत: पृथक् इकाइयों (जातियों) में विभाजित रहता है, इन इकाइयों के बीच पारस्परिक सम्बन्ध ऊँच-नीच के आधार पर सांस्कारिक रूप से निर्धारित होते हैं।”
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