यही थी क्या उनकी पत्नी, जिसके हाथों में कोमल स्पर्श, जिसकी
मुस्कान की याद में उन्हों सम्पूर्ण जीवन काट दिया था? उन्हें लगा
कि वह लावण्यमयी युवती जीवन की राह में कही खो गइ है, और
उसकी जगह आज जो स्त्री है वह उनके मन और प्राणों के लिए नितान्त अपरिचिता
अथवा
“सम्यता की वर्तमान स्थिति में एक व्यक्ति को दूसरे से वैसा भय तो नहीं रहता जैसे
कस्ता था, पर एक जाति को दूसरी जाति, एक देश को दूसरे देश से, भय के स्थायी
टत हो गए है। सबल, और निर्बल देशों के बीच अर्थ शोषण की प्रक्रिया अनवरत चल
ण का विराम नहीं है।"
नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या लिखिए।
| जगरानी की उदारता बरखानी जाइ,
पति उदित उदार कौन की भई।
पमिद सिद रिषिराज तपबुद्ध,
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Which Chapter ??????????????????
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