यह दिन यूँ तो दूसरे दिनों जैसा ही था पर भारतीय क्रांतिकारियों के इतिहास में एक विशेष दिन था। उस दिन सब सुबह-सुबह उठ गए। कैदी रसोइए ने विशेष खाना बनाया। जेलर अब्दुल सवेरे ही आ डटा। रोज़ वह किसी का गाना सुनता था, किसी के साथ शतरंज खेलता था पर आज वह चुप था। किसी ने उसे बैठने तक की जगह न दी। मुझे लगा कि उसका चेहरा भी कुछ उदास था। न जाने क्यों हमें यह आभास हो चुका था कि सूर्य के नीचे हमारा स्थान कहाँ है! आज वह जेलर था और हम कैदी। प्रतिदिन की तरह सब खाने बैठे तो बिस्मिल को खयाल आया कि आज आनुष्ठानिक' तरीके से भोजन करना चाहिए। जेलर के घर से एक बड़ा-सा थाल मँगवाया गया। सब उसके चारों ओर बैठ गए। कुछ को जगह भी नहीं मिली। हर हाल में सबने उसी थाल से दो-दो टुकड़े खाए। प्राचीनकाल से ही इस प्रकार के आनुष्ठानिक रूप से भोजन करने का बहुत महत्त्व रहा है। हम सबने अच्छे कपड़े पहने। हल्दीघाटी के योद्धा भी इसी प्रकार अपनी अच्छी पोशाकें पहनकर गए थे। रोशन सिंह ने अपनी इत्र की शीशी से सबको थोड़ा-थोड़ा इत्र लगाया। अब बेड़ियाँ डलवाने की बारी आई। जेलर को हिदायत थी कि हमारी बेड़ियों की कीलों की जाँच कर ली जाए। मेरी बारी आई तो मैंने अब्दुल से पूछा कि वह इतना भावुक क्यों हो रहा है। बड़ी मुश्किल से पता चला कि किसी बड़े अधिकारी के कहने पर फाँसी के कैदियोंवाली तीन कोठरियाँ साफ़ की जा रही हैं। मुझे लगा कोई भी जज अपने फैसले से पहले जेलवालों को खबर क्यों देगा! बंदूक और पुलिस के बीच हम लॉरी में बैठे। हमने रोज़ की तरह क्रांतिकारी गीत गाने शुरू कर दिए।
Please explain this in hindi
Answers
Answered by
0
Answer:
friend yeh to Hindi me likha h to explain goggle par kar lo I am shore apko apka answer milega
Similar questions