Hindi, asked by mohit553433, 6 months ago

यह धरती कितना देती है
उपन में बोए गए पैसे से एक भी अंकुर न फूटने पर कवि का बाल-मन उदास हो गया, परतु उसी
नी में सेम के बीज बोने पर अनगिनत हरी-भरी लताएँ उभर आई। सेम की लताएँ इसकी फलियों
नद गई। कवि को विश्वास हो गया कि धरती स्वार्थ नहीं, परमार्थ की सुनहली फसलें उगलती है।
4
- ​

Answers

Answered by Anonymous
2

यह धरती कितना देती है

उपन में बोए गए पैसे से एक भी अंकुर न फूटने पर कवि का बाल-मन उदास हो गया, परतु उसी

नी में सेम के बीज बोने पर अनगिनत हरी-भरी लताएँ उभर आई। सेम की लताएँ इसकी फलियों

नद गई। कवि को विश्वास हो गया कि धरती स्वार्थ नहीं, परमार्थ की सुनहली फसलें उगलती है।

4

-

Similar questions