Hindi, asked by aimykhan1234, 1 month ago

यज्ञ से नए शब्द बनाए​

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Answered by ganeshpasale
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यज्ञ, कर्मकांड की विधि है जो परमात्मा द्वारा ही हृदय में सम्पन्न होती है। जीव के अपने सत्य परिचय जो परमात्मा का अभिन्न ज्ञान और अनुभव है, यज्ञ की पूर्णता है। यह शुद्ध होने की क्रिया है। इसका संबंध अग्नि से प्रतीक रूप में किया जाता है।

अधियज्ञोअहमेवात्र देहे देहभृताम वर ॥ 4/8 भगवत गीता

अनाश्रित: कर्म फलम कार्यम कर्म करोति य:

स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रिय: ॥ 1/6 भगवत गीता

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