Hindi, asked by damankhehra, 5 months ago

यज्ञशाला और जन्मरोगी मे समास का नाम बताओ​

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Answered by chhotiv03
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तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास – जिस समास में दूसरा पद प्रधान होता है और पहले खण्ड के विभक्ति चिन्हों (परसर्गो) का लोप कर दिया जाता है, उसे तत्पुरुष समास कहते है ।

जैसे - राजकुमार = राजा का कुमार धनहीन = धन से हीन

तत्पुरुष समास के भेद

(क) कर्म तत्पुरुष - इसमें पदों के बीच से कर्म कारक की विभक्ति ‘को’ का लोप पाया जाता है , तो समास पद कर्म तत्पुरुष कहलाता है । जैसे –

समस्त पद विग्रह

शरणागत शरण को आया हुआ

ग्रहगत गृह को आगत

गिरहकट गिरह को काटने वाला

ग्रामगत ग्राम को गत (गया हुआ)

ग्रंथकार ग्रंथ को करने वाला

गगनचुम्बी गगन को चुमने वाला

(ख) करण तत्पुरुष - इसमें करण कारक की विभक्ति ‘से’ (द्वारा) का लोप हो जाता है, तो समास पद करण तत्पुरुष कहलाता है । जैसे –

समस्त पद विग्रह

तुलसीकृत तुलसी द्वारा या (से) कृत

मनचाहा मन से चाहा

अनुभवजन्य अनुभव से जन्य

प्रेमातुर प्रेम से आतुर

अकालपीड़ित अकाल से पीड़ित

रेखांकित रेखा से अंकित

जन्मरोगी जन्म से रोगी

(ग) सम्प्रदान तत्पुरुष – इसमें सम्प्रदान कारक की विभक्ति ‘के लिये’ का लोप हो जाता है, तो समास पद सम्प्रदान तत्पुरुष कहलाता है । जैसे –

समस्त पद विग्रह

हवनसामग्री हवन के लिए सामग्री

देशभक्ति देश के लिए भक्ति

यज्ञशाला यज्ञ के लिए शाला

गुरुदक्षिणा गुरु के लिए दक्षिणा

रसोईघर रसोई के लिए घर

पाठशाला पाठ के लिए शाला

ग्रहखर्च ग्रह के लिए खर्च

(घ) अपादान तत्पुरुष – इसमें अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ (अलग होने का भाव) का लोप हो जाता है, तो समास पद अपादान तत्पुरुष कहलाता है । जैसे –

समस्त पद विग्रह

भयभीत भय से भीत

पथभ्रष्ट पथ से भ्रष्ट

देशनिकाला देश से निकाला

आकाशवाणी आकाश से आई वाणी

देशनिर्वासित देश से निर्वासित

ऋणमुक्त ऋण से मुक्त

पदच्युत पद से च्युत

(ड़) सम्बन्ध तत्पुरुष – इसमें सम्बन्ध कारक की विभक्ति (का, के, की) का लोप हो जाता है, तो समास पद सम्बन्ध तत्पुरुष कहलाता है ।जैसे –

समस्त पद विग्रह समस्त पद विग्रह

राजकुमार राजा का कुमार राजमहल राजा का महल

गंगाजल गंगा का जल मृगशावक मृग का शावक

पवनपुत्र पवन का पुत्र देवालय देव का आलय

रामकहानी राम की कहानी घुड़दौड़ घौड़ौ की दौड़

नगरनिवासी नगर का निवासी राष्ट्रभाषा राष्ट्र की भाषा

राजपुत्र राजा का पुत्र संसारत्याग संसार का त्याग

(च) अधिकरण तत्पुरुष - इसमे अधिकरण तत्पुरुष की विभक्ति (में, पर) का लोप पाया जाता है, तो समास पद अधिकरण तत्पुरुष कहलाता है । जैसे –

समस्त पद विग्रह समस्त पद विग्रह

जलमग्न जल में मग्न ग्रामवास ग्राम में वास

ध्यानमग्न ध्यान में मग्न कार्यकुशल कार्य में कुशल

वनवास वन में वास शरणागत शरण में आगत

कलाप्रवीण कला में प्रवीण शोकमग्न शोक में मग्न

घुड़सवार घोड़े पर सवार आपबीती अपने पर बीती

(छ) नञ् तत्पुरुष – जिस शब्द में ‘न’ के अर्थ में ‘अ’ अथवा ‘अन’ का प्रयोग हो उसे ‘नञ् तत्पुरुष’ कहते है । जैसे- असम्भव न संभव अधर्म न धर्म

अनहोनी न होनी अनचाहा न चाहा

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