Hindi, asked by Mrjmistry, 7 months ago


(४) यमुना के तट पर राजा शांतुनु की मुलाकात किस युवती से हुई ?​

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Answered by aryanjha321
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राजा भरत के पांच बेटे थे। जब वे बड़े हुए, तो भरत ने उन सब पर विचार करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि वे अच्छे राजा नहीं बन सकते। पहली बार किसी राजा ने ऐसी समझदारी की बात की थी कि सिर्फ राजा का बेटा होना - राजा बनने के लिए काफी नहीं है। उन्होंने यह तय किया कि सिर्फ राजा के घर पैदा होने से कोई राजा बनने के योग्य नहीं हो जाता। उनकी इस बात को बहुत महत्व दिया गया, क्योंकि पहली बार दुनिया में राजा का चुनाव जन्म के आधार पर नहीं गुणों के आधार पर हो रहा था। यह भी एक वजह है कि उनके नाम पर इस देश का नाम रखा गया।

भरत अपने मानसिक संतुलन, निष्पक्षता और सब को साथ लेकर चलने, सबको समाहित करने की भावना के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपने बच्चों को ही राजा बनने के योग्य नहीं समझा और एक योग्य राजा की तलाश में लग गए। उन्होंने वृहस्पति के नाजायज पुत्र विरथ, जो वृहस्पति के भाई की पत्नी ममता से पैदा हुआ था, को अपना उत्तराधिकारी चुना। वृहस्पति ने ममता के साथ जबरन संबंध स्थापित किया था, जिसका मतलब है कि विरथ बलात्कार का नतीजा था। इस युवक को भरत ने राजा के रूप में चुना। विरथ एक महान राजा साबित हुआ और उसने बहुत बुद्धिमानी के साथ राज किया।

महाभिषक का पतन

विरथ के चौदह‍ पीढ़ी बाद, शांतनु हुए। शांतनु पांडवों और कौरवों के परदादा थे। पिछले जन्म में उनका नाम महाभिषक था। वह पूर्ण सिद्ध हो कर देवलोक चले गए थे। एक दिन, जब वह इंद्र के दरबार में अपने स्थान पर बैठे थे, तभी देवी गंगा वहां आईं।

भरत अपने मानसिक संतुलन, निष्पक्षता और सब को साथ लेकर चलने, सबको समाहित करने की भावना के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपने बच्चों को ही राजा बनने के योग्य नहीं समझा और एक योग्य राजा की तलाश में लग गए।

वह पल भर के लिए बेखबर हुईं तो उनका पल्लू गिर गया और अनजाने में उनके शरीर का ऊपरी भाग नग्न हो गया। उन दिनों की आचार संहिता के मुताबिक सभी पुरुषों ने अपनी आंखें नीची कर लीं, जबकि महाभिषक जो देवलोक में नए थे, उन्हें घूरते रहे।

इस अनुचित आचरण और असभ्यता को देखकर इंद्र ने महाभिषक से कहा, ‘तुम देवलोक में रहने के अयोग्य हो। तुम्हें वापस जाकर फिर से इंसान के रूप में जन्म लेना होगा।’ फिर उन्होंने गंगा को देखा तो ध्यान दिया कि वह तवज्जो मिलने का आनंद उठाती हुई प्रतीत हो रही थीं। इंद्र ने गंगा से कहा, ‘यह पूरी तरह अनुचित है। तुम्हें भी वापस जाकर एक इंसान के रूप में जन्म लेना होगा। तुम्हें इंसान की सारी पीड़ाओं और सुखों को भोगना होगा। जब तुम अहंकार से मुक्त हो जाओगी, तब तुम वापस आ सकती हो।’

शांतनु और गंगा का मिलन

महाभिषक का शांतनु के रूप में पुनर्जन्म हुआ। किसी समय वह गंगा से मिले। उन्हें अपना पिछला जन्म याद नहीं था, मगर गंगा को याद था। गंगा ने उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की मगर राजा होने के कारण, वह इधर-उधर भटक रहे थे। शांतनु एक अच्छे शिकारी थे। जब वह शिकार पर जाते, तो उसमें इतने खो जाते कि शिकार उनके लिए पूजा बन जाता। एक बार कई हफ़्तों तक वे गंगा के तट पर शिकार करते रहे, और शिकार में पूरी तरह खोये रहे। नदी पास से ही बह रही थी, मगर वह मछुआरे नहीं, एक शिकारी थे। उनका ध्यान शिकार पर रहता था। उन्होंने नदी पर कोई ध्यान नहीं दिया। गंगा इंतजार करती रहीं।

आम तौर पर जब भी उन्हें भूख, प्यास लगती या किसी चीज की जरूरत होती, तो उनके सेवक उनके सामने वह पेश कर देते। मगर एक दिन, शांतनु को तेज प्यास लगी और आस-पास कोई सेवक नहीं था। फिर उन्होंने नदी पर ध्यान दिया और गंगा को खोजने लगे। गंगा नदी से स्त्री रूप में प्रकट हुईं। जैसे ही शांतनु ने गंगा को देखा, वह एक बार फिर प्रेम में पड़ गए। उन्होंने गंगा से विवाह करने की विनती की। गंगा तैयार हो गयी, पर गंगा ने एक शर्त रखी – “मैं आपसे शादी करुँगी पर चाहे मैं कुछ भी करूं, आप कभी मुझसे ये नहीं पूछेंगे कि मैं वैसा क्यों कर रही हूँ” ।

Answered by darshilchauhan519
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Your question is very long Hari

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