yamak aur slesh alankar ki paribhasha aur udaharan dijiye
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२, यमक अलंकार :जहाँ कोई शब्द एक से अधिक बार प्रयुक्त हो और उसके अर्थ अलग -अलग हों वहाँयमक अलंकार होता है।
जैसे : कनक कनक तें सौगुनी, मादकता अधिकाय।
या खाये बौराय जग, वा पाये बौराय।।
यहाँ पर पहले में कनक का अर्थ ‘सोना’ तथा दूसरे का ‘धतूरा’ है।
३. श्लेष अलंकार : जहाँ कोई शब्द एक ही बार प्रयुक्त हो , किन्तु प्रसंग भेद में उसके अर्थ एक से अधिक हों , वहां शलेष अलंकार है।
जैसे : पानी गये न ऊबरे, मोती मानुष चून।
यहाँ पर ‘पानी’ शब्द का अर्थ : मोती के संदर्भ में अर्थ है चमक, मनुष्य के संदर्भ में ‘इज्जत’ तथा चून(आटा) के संदर्भ में जल है ।
जैसे : कनक कनक तें सौगुनी, मादकता अधिकाय।
या खाये बौराय जग, वा पाये बौराय।।
यहाँ पर पहले में कनक का अर्थ ‘सोना’ तथा दूसरे का ‘धतूरा’ है।
३. श्लेष अलंकार : जहाँ कोई शब्द एक ही बार प्रयुक्त हो , किन्तु प्रसंग भेद में उसके अर्थ एक से अधिक हों , वहां शलेष अलंकार है।
जैसे : पानी गये न ऊबरे, मोती मानुष चून।
यहाँ पर ‘पानी’ शब्द का अर्थ : मोती के संदर्भ में अर्थ है चमक, मनुष्य के संदर्भ में ‘इज्जत’ तथा चून(आटा) के संदर्भ में जल है ।
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