यमक अलंकार अौर श्लेष अलंकार में अंतर उदाहरण सहित सपषट करें
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एक शब्द कि दो बार आवृति हुई एवं दोनों बार शब्द का अर्थ अलग निकला। इससे पता चलता है की यह यमक अलकार का उदाहरण है। ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं कि हरि शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं पहला है भगवान ओर दूसरा है बन्दर। एक शब्द से डो अर्थ निकलने कि वजह से यह शब्द श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।
Explanation:
यमक - जब काव्य में एक ही शब्द की बार-बार आवृति हो तब वहां यमक अलंकार होता है। हर बार शब्द का अर्थ अलग होता है।
श्लेष - श्लेष का अर्थ होता है चिपकना। जब काव्य में एक ही शब्द में से कई अर्थ निकलते हों तब वहां श्लेष अलंकार होता है।
उदाहरण - कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पा बौराय।।
ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं कि ‘कनक’ शब्द की दो बार आवृति हुई है। पहली बार कनक का मतलब धतुरा है तो दूसरी बार कनक का मतलब स्वर्ण है। एक शब्द कि दो बार आवृति हुई एवं दोनों बार शब्द का अर्थ अलग निकला। इससे पता चलता है की यह यमक अलकार का उदाहरण है।
2. किसी काव्य में श्लेष अलंकार होने के लिए एक ही शब्द से विभिन्न अर्थ निकलने चाहिए। जैसे:
सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक| जो करते विप्लव, उन्हें, ‘हरि’ का है आतंक||
ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं कि हरि शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं पहला है भगवान ओर दूसरा है बन्दर। एक शब्द से डो अर्थ निकलने कि वजह से यह शब्द श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।
आइये इन अलंकारों को कुछ अन्य उदाहरणों के साथ समझते हैं:
काली घटा का घमंड घटा।
जैसा कि ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि घटा शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है। पहली बार घटा का मतलब काले बादल है एवं दूसरी बार घटा मतलब कम होना से है।
दो बार शब्द कि आवृति होना एवं दोनों बार विभिन्न अर्थ होना यमक अलंकार की विशेषता है। अतः इस उदाहरण में यमक अलंकार है।
जे रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। बारे उजियारो करै, बढ़े अंघेरो होय।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कि बारे शब्द एवं बढे शब्द एक बार आये हैं। लेकिन इन दोनों शब्दों से एक से ज्यादा अर्थ निकल रहे हैं।
बारे का अर्थ बचपन भी होता हैं एवं दीपक का जलना भी होता है। बढे का मतलब आयु बढ़ना भी होता है एवं दीपक का बुझने होता हैं।
एक शब्द के ही विभिन्न अर्थ निकलना श्लेष अलंकार की विशेषता होती है अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।
हमें आशा है कि आपको यमक और श्लेष अलंकार में अंतर समझ में आया होगा।