Hindi, asked by harenderdahiya1975, 7 months ago

यमक और श्लेष अलंकार में अंतर स्पष्ट कीजिए​

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Answered by krishna5051
32

Answer:

यमक अलंकार में एक शब्द अनेक बार प्रयुक्त होता है और हर बार उसका अर्थ अलग होता है, लेकिन श्लेष अलंकार में शब्द एक बार ही प्रयुक्त होता है लेकिन उसके विभिन्न अर्थ निकलते हैं;

उदाहरण- (यमक अलंकार) -

कनक- कनक तेै सौगुनी, मादकता अधिकाय।

वा खाए बौराए जग, या पाए बौराय ।।

यहां 'कनक' शब्द दो बार आया है लेकिन दोनों बार इसका अर्थ भिन्न-भिन्न है। एक जगह इसका अर्थ है- 'सोना' और दूसरी जगह है- 'धतूरा'।

(श्लेष अलंकार)

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।

पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुस, चून ।।

उपर्युक्त काव्य पंक्ति में 'पानी' शब्द में श्लेष है। 'पानी' शब्द एक बार प्रयुक्त हुआ है किंतु उसके तीन अर्थ निकलते हैं । 'मोती' के संदर्भ में चमक 'मानुष' के संदर्भ में प्रतिष्ठा तथा 'चून' के संदर्भ में जल।

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Answered by priyaagari650
7

Answer:

यमक और श्लेष अलंकार में अंतर :

एक काव्य में यमक अलंकार होने के लिए एक ही शब्द कि कम से कम दो बार आवृति होना जरुरी है। हर बार शब्द का अर्थ अलग अलग होता है। जैसे :

कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पा बौराय।।

ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं कि ‘कनक’ शब्द की दो बार आवृति हुई है। पहली बार कनक का मतलब धतुरा है तो दूसरी बार कनक का मतलब स्वर्ण है। एक शब्द कि दो बार आवृति हुई एवं दोनों बार शब्द का अर्थ अलग निकला। इससे पता चलता है की यह यमक अलकार का उदाहरण है।

2. किसी काव्य में श्लेष अलंकार होने के लिए एक ही शब्द से विभिन्न अर्थ निकलने चाहिए। जैसे:

सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक| जो करते विप्लव, उन्हें, ‘हरि’ का है आतंक||

ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं कि हरि शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं पहला है भगवान ओर दूसरा है बन्दर। एक शब्द से डो अर्थ निकलने कि वजह से यह शब्द श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।

आइये इन अलंकारों को कुछ अन्य उदाहरणों के साथ समझते हैं:

काली घटा का घमंड घटा।

जैसा कि ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि घटा शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है। पहली बार घटा का मतलब काले बादल है एवं दूसरी बार घटा मतलब कम होना से है।

दो बार शब्द कि आवृति होना एवं दोनों बार विभिन्न अर्थ होना यमक अलंकार की विशेषता है। अतः इस उदाहरण में यमक अलंकार है।

जे रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। बारे उजियारो करै, बढ़े अंघेरो होय।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कि बारे शब्द एवं बढे शब्द एक बार आये हैं। लेकिन इन दोनों शब्दों से एक से ज्यादा अर्थ निकल रहे हैं।

बारे का अर्थ बचपन भी होता हैं एवं दीपक का जलना भी होता है। बढे का मतलब आयु बढ़ना भी होता है एवं दीपक का बुझने होता हैं।

एक शब्द के ही विभिन्न अर्थ निकलना श्लेष अलंकार की विशेषता होती है अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।

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