- यमक और श्लेष अलंकार में क्या समानता है?
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आपने पूछा है कि यमक अलंकार और श्लेष अलंकार में क्या अंतर है मित्र यह पहली बात तो ध्यान रखें तो दोनों में एक समानता है कि दोनों शब्दालंकार में आते हैं और शब्दालंकार के प्रयास चार वेद कर दिए जाते हैं अपराध से मुक्त फेमस प्लेस एक शाखा से निकली हुई प्रशाखा हेमंत का मतलब होता है कि जहां कोई पद बार-बार आए और अर्थ बदल जाए वहां अलंकार होगा ध्यान रखें कि सुरेश का अर्थ तो होता कि शब्द एक बार आए और अनेक हूं तो वहां प्लीज अलंकार होता कि लिस्ट कर चिपका हुआ लेकिन ध्यान रखे उदाहरण पर अगर आप चलेंगे तो उसका प्रभाव भी थोड़ा सा अलग अलग दिखाई पड़ता है प्राय है चिर परिचित जो उत्तर चलता है वही यमक अलंकार का कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय या फाइब्राइजर हुआ पाइप और आए तो कनक दो बार आया है एक कनक का अर्थ धतूरा है एक कार तो सोना है तो धतूरे को खाकर के आदमी पागल हो जाता है और सोने को या संपत्ति को पागल के पागल हो जाता है यह तो यमक अलंकार का उदाहरण है और प्रायश्चित का पानी राखिए बिन पानी सब सून पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून जो पानी से वह मोती के अर्थ में मनुष्य के अर्थ में या चुने के अर्थ में आया मोदी के अर्थ में चमक हुआ मनुष्य के रूप में स्वाभिमान हुआ पानी का पानी हुआ एलएस अलंकार का उदाहरण है इनमें इतनी सी है कि वहां जितने शब्द आए उनके अर्थ अलग-अलग रहे यहां लास्ट वाला जो पानी है वही पानी सब तीसरी बार जो आया काला कि 383 पानी आया है लेकिन यह सिर्फ इसलिए मुल्तानी शब्दों को ही तीनों उस जगह पर प्रयुक्त किया गया है
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