'यमराज-अपनी दहकती आँखों सहित विराजते है' - काव्य पंक्तिका आशय यमराज की दिशा कविता के आधार पर लिखिए।
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iske ander vangay h. jiska arth h ki hamari duniya me Cruption bahut jyada ho raha h. hr tarf hi matlbi duniya virajti h. jiske karn writer ye kha h
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आज वक्त बदल चुका है और समाज में कई बुराइयाँ घर कर चुकी हैं। कवि को लगता है अब तो हर दिशा में यमराज का घर दिखता है। बड़े बड़े सफेदपोश अपराधी अपनी विशाल अट्टालिकाओं से यमराज की भाँति अपनी दहकती आँखों से आपको घूरते से लगते हैं। कहीं भ्रष्ट पुलिस वाले के रूप में, कहीं भ्रष्ट नेता के रूप में, तो कहीं लालची डॉक्टर के रूप में ये यमराज आपको हर तरह की मौत देने को हमेशा तैयार रहते हैं।
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