Hindi, asked by shahidtanveerka3106, 1 year ago

Yamuna bachao abhiyaan in hindi

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Answered by ankitmeena7
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1909 में, जब देश की दो महत्वपूर्ण नदियाँ, गंगा और यमुना के पानी की गुणवत्ता का परीक्षण किया गया, तो यमुना नदी का पानी “गंगा नदी के पानी की तुलना में” स्पष्ट नीले रंग का माना गया, जिसे पहले रेत और मिट्टी से युक्त पीले रंग का पानी माना जाता था। एक सदी बाद भी,  खासकर भारत की राजधानी नई दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में बहने वाली यमुना नदी को देश की सबसे खराब और प्रदूषित नदी माना जाता है। तीव्र गति से बढ़ने वाले औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न कचरे का  लगभग 58% भाग नदी में गिरा दिया जाता है, जो दिल्ली में यमुना नदी के प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने में योगदान देता है।

यमुना की सफाई के लिए शुरु की गई प्रमुख परियोजनाएँ

यमुना कार्य योजना: वर्ष 1993 में, देश की सबसे गंदी नदी यमुना को साफ करने के लिए, यमुना कार्य योजना (वाईएपी) औपचारिक रूप से शुरू की गई थी। अभी तक यमुना कार्य योजना – प्रथम और यमुना कार्य योजना – द्वितीय दोनों चरण पूरे हो चुके है। यमुना कार्य योजना – प्रथम के अन्तर्गत दिल्ली, उत्तर प्रदेश के आठ शहरों और हरियाणा के छह शहरों को शामिल किया गया। यमुना कार्य योजना – द्वितीय के तहत, दिल्ली में 22 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली यमुना नदी की सफाई पर जोर दिया गया। अब हमारे पास, यमुना कार्य योजना – तृतीय हैं, दिल्ली में यमुना कार्य योजना के तृतीय चरण की अनुमानित लागत 1,656 करोड़ रुपये है।  2013 में, यमुना कार्य योजना – तृतीय शुरू की गई और जिसे 2015 तक पूरा किया जाना था।

यमुना कार्य योजना की पृष्ठभूमि

यमुना कार्य योजना (वाईएपी) देश की सबसे बड़ी यमुना नदी की परियोजनाओं में से एक है, यह भारत सरकार और जापान के बीच एक द्विपक्षीय परियोजना है। जापान की सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए, जापानी बैंक (जेबीआईसी) के तहत इस परियोजना को पूरा करने के लिए 17.7 अरब येन का वित्तीय अनुदान प्रदान किया है और इस परियोजना को पर्यावरण और वन मंत्रालय, राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय और भारत सरकार द्वारा निष्पादित किया जा रहा है। यमुना कार्य योजना – तृतीय के तहत, भारत की राजधानी दिल्ली पर मुख्य जोर दिया गया है क्योंकि यह यमुना नदी के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक है, जिसमें दिल्ली शहर के ज्यादातर मैले पानी को इसमें सम्मिलित किया जाता है।

सफलता दर

यमुना कार्य योजना – प्रथम और यमुना कार्य योजना – द्वितीय के तहत, प्रदूषित यमुना नदी की सफाई, यमुना की जैविक ऑक्सीजन के बढ़ते स्तर की मांग के अनुरुप की गई थी। इन दो चरणों के तहत, 286 योजनाएं,  जिसमें 39 वाहित मल उपचार संयंत्र (एसटीपी) शामिल हैं, जिनको दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के 21 शहरों में 1,453.17 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया और प्रति दिन 767.25 मिलियन लीटर के वाहित मल की उपचार क्षमता का निर्माण किया गया है।

ऊर्जा और संसाधन संस्था (तेरी) द्वारा हाल ही में दी गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यमुना नदी के किनारे रहने वाले लोगों के जलीय जीवन और दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को समर्थन देने के लिए प्रति दिन लगभग 3.46 बिलियन लीटर ताजे पानी के प्रवाह की आवश्यकता होती है। यह राशि दिल्ली की दैनिक जरुरत के आधार पर पीये जाने वाले पानी की मात्रा के बराबर है। हालांकि, यमुना नदी के पानी को ताजे पानी से जोड़ने के बारे में कोई सुचना नहीं दी गई है क्योंकि इसका अधिकांश पानी मैला है। यमुना नदी का मैला पानी पिछले 10 वर्षों के विश्लेषण के आधार पर दर्ज किया गया है। तेरी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यमुना कार्य योजना, यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता को सुधारने में 100% सफल नहीं हो सकी है,  लेकिन यह भी सच है कि इसके कार्यान्वयन के बाद पानी की गुणवत्ता में कोई भी कमी नहीं आयी है।

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