यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा, शास्त्रं तस्य करोति किम्। लोचनाभ्यां विहीनस्य, दर्पण: किं करिष्यति । ka matalab hindi ma in two line
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जिसका खुद का ज्ञान और विवेक ना हो उसका शास्त्र भी कोई सहायता नही कर सकता जिस प्रकार किसी दृष्टिहीन व्यक्ति के हाथ में आईना दे देने बाद भी वह उसका कोई प्रयोग नही कर सकता।
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