Hindi, asked by abhi4359, 11 months ago

यस्यास्ति वित्तं सः नरः कुलीनः,
सः पण्डितः सः श्रुतवान् गुणज्ञः।
स एव वक्ता सः च दर्शनीयः,
सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ति।।5।।​

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Answered by shishir303
27

यस्यास्ति वित्तं स नरः कुलीनः

स पण्डित स श्रुतवान् गुणज्ञः।

स एव वक्ता स च दर्शनीयः

सर्वे गुणाः कांचनमाश्रयन्ते।।

ये संस्कृत के विद्वान एवं कवि भर्तृहरि के नीतिशतकम् श्लोकों में से एक है, जिसका भावार्थ इस प्रकार है।

भावार्थ — जिसके पास धन है वही ऊँचे परिवार का है, वही विद्वान हैं, वो ही शास्त्रों का ज्ञाता है। ऐसा व्यक्ति ही दूसरों के गुण-दोषों का आकलन करने का योग्यता रखता है, वो ही प्रभावी वक्ता है, वो ही देखने में अच्छा है। कहने का तात्पर्य है कि ये सभी गुण धन के ऊपर निर्भर हैं अर्थात धन है तो सभी गुण हैं वरना कुछ भी नही है।

भर्तहरि के कहने का मूल आशय ये है कि धन के बल पर ऐसे लोग जुटाये जा सकते हैं जो किसी भी अयोग्य व्यक्ति को अयोग्य सिद्ध कर सकते हैं, अर्थात धन के बल पर अगुणी को भी गुणी सिद्ध किया जा सकता है।

Answered by nandanasinghmw9454
3

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