'यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं और वे सहानुभूति के पात्र नहीं हैं।" इस
कथन के समर्थन में अपने विचार लिखिए।
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शुक्रिया दोस्त
यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं और वे सहानुभूति के पात्र नहीं है, इस बात से हम पूरी तरह सहमत नहीं हैं।
पुराने विचार होने से कोई सहानुभूति का पात्र नहीं हो, ये उचित नही है। हर पीढ़ी के अपने विचार होते हैं। परिवर्तन संसार का नियम है। यदि नई पीढ़ी के नए विचार हैं तो इसका अर्थ यह नहीं कि पुरानी पीढ़ी के पुराने विचारों को एकदम दरकिनार कर दिया जाए।
यशोधर बाबू अपने अंतर्द्वंद से जीने वाले व्यक्ति हैं। वह अपने पुराने विचारों में जीना चाहते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि वह नए विचारों को पूरी तरह अस्वीकार कर रहे हैं। वे खुद को पिछड़ा हुआ मानते हैं। इस बात से स्पष्ट होता है कि वह नए जमाने में परिवर्तन और नए विचारों को स्वीकार कर रहे हैं। लेकिन वह उन नए विचारों के साथ सहज रूप से आगे नहीं बढ़ पाते हैं। उनके साथ सहानुभूति होनी आवश्यक है।
#SPJ3