यशब्दाशाः धातोः शब्दस्य वा अन्ते संयुज्य तेषाम् अर्थ-परिवर्तनम् कुर्वन्ति ते प्रत्ययाः कथ्यन्ते। धातुभिः सह
कृदन्त-प्रत्ययाः संयोज्यन्ते।
क्त्वा - यदा एकम् कार्यम् कृत्वा अन्यम् कार्यम् क्रियते तदा उपसर्ग-रहित-धातुना सह क्त्वा प्रत्ययः संयोज्यते।
यथा- खेलित्वा, लिखित्वा, हसित्वा, चलित्वा, गत्वा, भूत्वा, कृत्वा, भ्रमित्वा, दत्त्वा इत्यादयः।
ल्यप्
यदा एकम् कार्यम् कृत्वा अन्यम् कार्यम् क्रियते तदा उपसर्ग-सहित-धातुना सह क्त्वा प्रत्ययस्य स्थाने
ल्यप् प्रत्ययः भवति। यथा- आदाय, प्रविश्य, विहस्य, आगम्य, आनीय, उपगम्य इत्यादयः।
तुमुन् - 'कार्यम् अस्मै क्रियते' इति अर्थे धातुना सह तुमुन् प्रत्ययस्य प्रयोगः भवति। यथा- पठितुम्, कर्तुम्, दातुम्,
पातुम्, भवितुम्, चलितुम् इत्यादयः।
ध्यातव्यम्-
मूल-धातुःशब्द: वा प्रकृतिः इति कथ्यते।
क्त्वा-ल्यप्-तुमुन्-प्रत्ययान्तपदानि अव्यय-पदानि भवन्ति।
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ट्रैफिक जाम की बढ़ती समस्या
ट्रैफिक जाम की बढ़ती समस्या
November 14, 2019 by Jagriti Asthana
ट्रैफिक जाम की बढ़ती समस्या पर निबंध
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ट्रैफिक जाम की समस्या से आज भारत का हर राज्य परेशान है और यदि हम शहरों की बात करें तो दिल्ली बैंगलोर हैदराबाद जहां ट्रैफिक जाम की समस्या सबसे ज्यादा है।
उदाहरण स्वरूप यदि हम राजधानी दिल्ली को ले ले तो हम यह पाएंगे कि ट्रैफिक जाम से वहां जीवन अस्त-व्यस्त है हालांकि वहां मेट्रो ट्रेन की सुविधा है परंतु फिर भी स्थिति गंभीर है सुबह 8:00 बजे से 11:00 बजे तक और शाम 7:00 बजे से रात 10:00 बजे तक ट्रैफिक का बुरा हाल रहता है, बारिश के दिनों में तो और भी बुरा हाल हो जाता है बारिश के दिनों में तो दिल्ली में यह हाल रहता है कि यदि आप अपने ऑफिस से शाम को 7:00 बजे निकलते हैं तो रात को 12:00 बजे तक घर पहुंच पाते हैं।
Answer:
Bhai maf karde
ham se na ho payega
agar question itna bara hai to answer kitna bara hoga