यशपाल की कहानी कला की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए
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यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर, 1903 को फ़िरोजपुर छावनी में हुआ था। ... मेरी, तेरी, उसकी बात' पर यशपाल को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। यशपाल की कहानियों में सर्वदा कथा रस मिलता है। वर्ग-संघर्ष, मनोविश्लेषण और तीखा व्यंग्य इनकी कहानियों की विशेषताएँ हैं।
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यशपाल की कहानी कला की विशेषताओं पर प्रकाश-
- यशपाल मूल रूप से मध्यमवर्गीय जीवन के कलाकार हैं और इस वर्ग से जुड़ी उनकी कहानियाँ दिल को छू लेने वाली हैं। विसंगतियों, पापों, अंतर्विरोधों, धारणाओं आदि पर इतना महत्वपूर्ण प्रहार करने वाला कोई दूसरा तंतु नहीं है।
- मध्यम वर्ग की। उनका मुख्य बिंदु दो विरोधी स्थितियों की विसंगति दिखाकर लैम्पून का निर्माण है। यशपाल की जोत की मुख्य गुर्दा नई है, लेकिन उन्होंने अपने जोत की शुरुआत कहानियों से ही की।
- उनकी कहानियाँ उनके उपन्यासों की तरह उनके समय की राजनीति से प्रभावित नहीं हैं।
- नई कहानी के दौर में स्त्री के शरीर और मन के कृत्रिम विभाजन के खिलाफ एक आदर्श महिला की छवि पर जोर, इसकी असली सुबह यशपाल से शुरू होती है। पल की कहानी को सोचने की दिशा में यशपाल की अनगिनत कहानियों को विष के रूप में इस्तेमाल किया गया है।
- वर्तमान और अजन्मी कहानियों की संभावनाओं की दृष्टि से उनका महत्व अकाट्य है। .उनके कहानी संग्रहों में 'उड़ान की कलम', 'ज्ञानदान', 'भस्मव्रत', 'शिंगार', 'फूल कुर्ता', 'धर्म युद्ध', 'तुमने क्यों कहा कि मैं सुंदर हूं' और 'उत्तम के मामा' प्रमुख हैं।
- यशपाल की कहानी हमेशा कहानी में स्थापित होती है। वर्ग संघर्ष, मनोविश्लेषण और तीक्ष्ण चिराग उनकी कहानियों की विशेषताएँ हैं।
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