Yashoda balkrishna ko sulane ke like kya karti h
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यशोदा जी बालक कृष्ण को सुलाने के लिए पालने में झूला रही है। कभी प्यार करके पुचकारती है और लोरी गाती है। वे अपनी मधुर आवाज़ में कृष्ण को लोरी गाकर सुनाती है और नींद को उलाहना देती है कि वह जल्दी से क्यों नही आ रही है क्योंकि कान्हा उसे बुला रहा है। यह मातृत्व है जो अपने पुत्र के लिए उमड़ रहा है।
यशोदा जी बालक कृष्ण को सुलाने के लिए पालने में झूला रही है। कभी प्यार करके पुचकारती है और लोरी गाती है। वे अपनी मधुर आवाज़ में कृष्ण को लोरी गाकर सुनाती है और नींद को उलाहना देती है कि वह जल्दी से क्यों नही आ रही है क्योंकि कान्हा उसे बुला रहा है। यह मातृत्व है जो अपने पुत्र के लिए उमड़ रहा है। Explanation:
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