yashodar babu ki kahani ko disha dene me kishan da ki mahtvapurna bhumika rahi hai aapke jivan ko disha dene me kiska mahtvapurna yogdan raha or kaise?
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Explanation:
यशोधर बाबू ने जो सीखा वह किशनबाबू से सीखा है। उन पर उनका खासा प्रभाव है। वह किशनबाबू की हर बात को सही मानते हैं। उनके लिए किशनबाबू उनके आदर्श हैं। यशोधर बाबू किशनबाबू के साथ स्वयं को सहज मानते हैं। अपने आसपास जो बदलाव हो रहे हैं उनके प्रति उनका स्वभाव बहुत ही संकीर्ण हो जाता है। किशनबाबू की जीवन शैली को वह उचित मानते हैं और उसमें किसी तरह के बदलाव को आने नहीं देते हैं। यशोधर बाबू यह नहीं समझते हैं कि किशनबाबू एकाकी जीवन व्यतीत करते थे। अतः उनकी जो जीवन शैली थी, उसमें कभी कोई बाधक नहीं हो सकता था। आसपास होने वाले बदलावों का उन पर कभी प्रभाव नहीं पड़ा। किशनबाबू के साथ ऐसा नहीं था। उनका अपना भरा-पूरा परिवार था। उनके बच्चे आसपास हो रहे बदलाव का सबसे बड़ा प्रतीक हैं। उन्हें बदलने की आवश्यकता थी मगर किशनबाबू के संस्कारों को ग्रहण करने के कारण वह स्वयं को असहज महसूस करते हैं। इसके विपरीत यशोधर बाबू की पत्नी के जीवन में किसी भी व्यक्ति का प्रभाव नहीं था। उनका अपना व्यक्तित्व और अपनी सोच थी। अतः अपने आस-पास हो रहे बदलावों को वह समझ पाती है और समय के साथ तेज़ी से ढल सकने में सफल हो जाती है।