Yashpal ki makreel kahani ka short
summary in hindi?
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यशपाल (३ दिसम्बर १९०३ - २६ दिसम्बर १९७६) हिन्दी साहित्य के प्रेमचंदोत्तर युगीन कथाकार हैं। ये विद्यार्थी जीवन से ही क्रांतिकारी आन्दोलन से जुड़े थे। इन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन् १९७० में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
Yashpal 2003 stamp of India
यशपाल
जन्म
3 दिसम्बर, 1903
फ़िरोजपुर छावनी, पंजाब, भारत
मृत्यु
26 दिसंबर, १९७६
वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत
व्यवसाय
उपन्यासकार, कहानीकार
राष्ट्रीयता
भारतीय
अवधि/काल
आधुनिक काल
विधा
कहानी और उपन्यास
विषय
प्रगतिशील साहित्य
साहित्यिक आन्दोलन
प्रगतिवाद
उल्लेखनीय कार्य
झूठा सच, दिव्या
Explanation:
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Answer:
इस कहानी में चौधरी पीरबक्श और उनके दो लड़के और आगे उनके परिवार की कहानी है। पीरबख्श के दादा चुंगी के महकमे में दारोगा थे । आमदनी अच्छी थी । एक छोटा, पर पक्का मकान भी उन्होंने बनवा लिया । लड़कों को पूरी तालीम दी । दोनों लड़के एण्ट्रेन्स पास कर रेलवे में और डाकखाने में बाबू हो गये।
कहानी का सारांश
यशपाल की कहानी ‘परदा’ दरअसल मध्यवर्गीय समाज की विडंबनाओं और की कहानी है। जिन लोगों की सारी कोशिश हमेशा अमीर बनने की होती है, जो खुद से रईस लोगों की दिनचर्या का पालन करते हैं, उनके जैसा बनना चाहते हैं और अपनी गुरबत को छिपाते रहते हैं। वे न तो अमीर की श्रेणी में आ पाते हैं न ग़रीबों की तरह अपनी ग़रीबी स्वीकार कर जी पाते हैं। इस कहानी का मुख्य किरदार यूं तो वह परदा ही है जो एक घर की लाज बनाने की कोशिश अपने अंतिम रेशे, अपने अंतिम धागे तक करता है। पर चूंकि यह परदा चौधरी पीरबक्श के मकान पर टंगा था तो सारा किस्सा उन्हीं की सहारे चलता था।कहानी के अंत में से परदा हट चुका था । सबको उनके घर के हालत के बारे में पता चल गया था ।