yashpal lekhak ka jivan parichay
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जीवन-परिचयः हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार एवं कहानीकार यशपाल का जन्म पंजाब राज्य के फिरोजपुर छावनी में 3 दिसम्बर सन् 1903 ईस्वी को हुआ। इनकी माता प्रेमदेवी तथा पिता हीरालाल संस्कारवान थे, जिनका प्रभाव उनके व्यक्तित्व पर साफ झलकता है। गुरूकुल कांगड़ी (हरिद्वार) से प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करने वाले यशपाल की शिक्षा डी.ए.वी. स्कूल, लाहौर तथा फिरोजपुर में हुई। इसी बीच इनका झुकाव राष्ट्रीय-आन्दोलन की ओर हो गया। शहीद भगतसिंह और चन्द्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के साथ कार्य करते हुए इन्हें जेल भी जाना पड़ा। भारतीय स्वतंत्रता के बाद यशपाल लखनऊ में स्थायी रूप से बस गए और लेखन को आजीविका का साधन बना लिया। आर्य समाज के प्रचारक के रूप में भी कुछ दिन तक कार्य किया। 7 अगस्त 1936 ईस्वी को इनका विवाह बरेली जेल में प्रकाशवती के साथ हुआ। आजादी के बाद इन्होंने कई विदेशी यात्राएँ भी कीं। सन् 1969 में इन्हें सोवियत-भूमि नेहरू पुरस्कार प्रदान किया। सन् 1976 में यशपाल का देहावसान हो गया।
प्रमुख रचनाएं : प्रगतिशील विचारधारा के लेखक यशपाल ने उपन्यास, कहानी, निबन्ध, नाटक एवं यात्रा विवरण आदि की रचना कर हिन्दी साहित्य की विपुल सेवा की है। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं-
काव्य-संग्रह
पिंजरे की उड़ान, अभिशप्त, भस्मावृत चिनगारी, फूलों का कुर्त्ता, तर्क का तूफान, धर्मयुद्ध, चित्र का शीर्षक, तुमने क्यों कहा था एवं सच बोलने की भूल आदि।
नाटक
नशे-नशे की बात, रूप की परख, गुडबाई दर्दे दिल।
कहानी-संग्रह
दादा कामरेड, मनुष्य के रूप, झूठा-सच, दिव्या, बारह घण्टे, अमिता एवं अप्सरा का श्राप आदि।
यात्रा-विवरण
लोहे की दीवार के दोनों ओर’ एवं ‘राहबीती’