yatayat ki samasya upay par nibandh
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बीसवीं शताब्दी के अंतिम चरणों में और इक्कीसवीं सदी के द्वार के समीप पहुंचते-पहुंचते जब कस्बे और सामान्य नगर बड़े-बड़े नगरों का दृश्य उपस्थित करने लगे हों, तब जिन्हें पहले ही महानगर कहा जाता है, उनकी दशा का अनुमान सहज और स्वत: ही होने लगता है। जहां जाइए, मनुष्यों की भीड़ का ठाठें मारता अथाह सागर, जिसका कोई ओर-छोर नहीं-कुछ ऐसी ही स्थिति हो गई है आज हमारे महानगरों की। अभाव-अभियोग से त्रस्त ग्रामीण, कस्बों और छोटे नगरों के बेगार, उद्योग-धंधों का विस्तार, काम की तलाश में भटकती मानसिकता-जितने प्रकार के भी नाले और नदियों हो सकते हैं, आज उन सभी का रुख महानगर रूपी सागर की ओर ही है। यही कारण है कि स्वतंत्र भारत में महानगरों की समस्यांए प्रतिपल, प्रतिक्षण बढ़ती ही जा रही हैं। सांख्यिकी के ज्ञाताओं का अनुमान है कि अकेले महानगर दिल्ली में प्रतिदिन 12 से 15 हजार ऐसे लोग आते हैं कि जो यहीं बस जाना चाहते हैं और बस भी जाया करते हैं। काम-काज या सैर-सपाटे के लिए आने वालों की संख्या इनमें शामिल नहीं है। यही स्थिति अन्य महानगरों की भी कही जा सकती है। इसी कारण महानगरों की समस्यांए बढ़ती ही जा रही है। यहां हम अन्य समस्यांए न लेकल केवल यातायात की समस्या पर विचार करेंगे।
महानगरों में यातायात के अनेक साधन उपलब्ध हैं। रेल, कार, स्कूटर, टैक्सी, बस, तांगा, साइकिल, रिक्शा आदि। कार-स्कूटर आदि पर दैनिक यात्रा केवल साधन-संपन्न लोग ही कर पाते हैं। आम आदमी में अैक्सी पर यात्रा करने का सामथ्र्य नहीं है। सुख-दुख के आपात क्षणों में ही आम आदमी टैक्सी-स्कूटर का झिझक के साथ प्रयोग कर पाता है। महानगरों का विस्तार इस सीमा तक हो चुका है, काम-धंधे के क्षेत्र घरों से इतनी दूर हो चुके हैं कि तांगा-रिक्शा और प्राय: साइकिल भी इस सबके लिए अनुपयोगी बन चुका है। इस प्रकार के यातायातीय साधनों का उपयोग लगभग स्थानीय तौर पर ही कभी-कभार किया जाता है। शेष रह जाती है-बस। या फिर स्थानीय रेलें, कि जो सभी जगह उपलब्ध नहीं है। इस प्रकार कुल मिलाकर नगरीय बस-सेवा को ही यातायात का वह सुलभ साधन कहा जा सकता है कि जिसका प्रयोग आम आदमी कर सकता है और कर भी रहा है। परंतु महानगरों की आबादी जिस अनुपात से बढ़ी है, बस-सेवाओं का विस्तान उस अनुपात से संभव नहीं हो सका। यही कारण है कि महानगर-निवासी आम लोगों को आज प्रतिदिन, दिन में कम से कम दो बाद बसों में सवाल होकर अवश्य ही, जिस भयावह समस्या से जूझने को बाध्य होना पड़ता है वह है यातायात की समस्या।
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