यदि आप बाबू चैतन्यदास के स्थान पर होते तो आपका क्या व्यवहार होता? - kahani putra prem
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भारतीय समाज में परिवार का विशेष महत्त्व है। बाबू चैतन्यदास शहर के जाने-माने वकील थे जिन्होंने अर्थशास्त्र खूब पढ़ा था । उनका स्पष्ट मानना था कि यदि खर्च करने के बाद स्वयं का या किसी दूसरे का उपकार नहीं होता है तो वह खर्च व्यर्थ है और उसे नहीं करना चाहिए।
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